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___ महासंधिक (कुल )
(३) एकव्यावहारिक गोकुलिक (एकब्बोहारिक) (गोकुलिक)
(४) प्रज्ञप्निवादी (पअनिवादी)
बाहुश्रुतिक (बाहुलिक)
(६) चैत्यवादी (चेतियवादी)
।
थेरवादी (कुल १२)
(१)
महीशामक
(८) वान्मीपुत्रीय या - महिमामक)
वृज्जिपुत्रक
(वज्जिपुनक) (३) सर्वास्तिवादी (मब्बत्थिवादी) (७) (४) काश्यपीय (कम्मपिक) धर्मगुप्तिक धर्मोनरीय (धम्मुनरीय) (५) मांक्रान्तिक (संक्रन्तिक) (धम्मगतिक) (१०) छन्नागारिक (११) (६) सूत्रवादी या मौत्रान्तिक (सनवादी) (छन्नागरिक) भद्रयानिक
(१२) माम्मित्तिय सर्वास्तिवादी परम्परा में इन सम्प्रदायों का विकास कुछविभिन्नडंग मे दिवाया गया है। उदाहरणतः वसमित्र-प्रणीत 'अप्टादग-निकाय-शास्त्र' के अनसार १८ मम्प्रदायों का विभागीकरण इस प्रकार है--
१. देखिये राहुल सांकृत्यायन द्वारा सम्पादित 'अभिधर्मकोश', भूमिका, पृष्ठ ५, एवं उन्हीं का विनय-पिटक (हिन्दी-अनुवाद), भूमिका, पृष्ठ १-२; नागार्जुन के माध्यमिक सूत्रों के भाष्यकार ,चन्द्रकीति के पूर्वगामी, आचार्य भव्य के वर्णनानुसार भी १८ सम्प्रदायों के विकास का यही क्रम है। केवल उन्होंने