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में तथा प्रायः मभी पूर्वी यूरोप के साहित्य में 'जातक' के प्रभाव की विद्यमानता. दिखाई है ।' भिक्षु शीलभद्र ने पर्याप्त उदाहरण देकर सिद्ध किया है कि निमि जातक (५८१) ही चौदहवी गताब्दी के इटालियन कवि दाँते की प्रसिद्ध रचना. (Divina Comedia) का आधार है । जर्मन विद्वान् बेन्फे ने 'जातक' को विश्व के कथा-साहित्य का उद्गम कहा है, जो तथ्यों के प्रकाश में अतिशयोक्ति नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार भारतीय साहित्य और संस्कृति के साथ विश्व के साहित्य और सभ्यता के इतिहास में 'जातक' के स्थान और महत्व के इस मंक्षिप्त दिग्दर्शन के बाद अब हम खुद्दक निकाय के अन्य ग्रन्थों पर आते हैं। निदेस
निद्देस के दो भाग हैं, महानिद्देस और चूल निद्देस । महानिद्देस सुत्त-निपात के अट्ठक वग्ग की व्याख्या है। इसी प्रकार चूल निद्देस एक प्रकार सुत्त-निपात के ही खग्ग विमाण सुत्त और पारायण की व्याख्या है । इस प्रकार पूग निद्देस मुत्त-निपान के एक भाग की ही अट्ठकथा है। परम्पग से यह सारिपुत्र की रचना बताई जाती है। ‘महानिदेस' में हमें उन स्थानों, देशों और बन्दरगाहों की सूची मिलती है जिनके साथ भारत का व्यापार पाँचवीं-छठी शताब्दी ईसवी पूर्व होता था। समुद्र , नदी और स्थल के कौन-कौन से मार्ग थे. इसका भी पूरा विवरण हम यहाँ मिलता है ।
1. "Thus for instance the Three Caskets and the Pound of
Flesh in the Merchant of Venice and the Precious Jewels which in As You Like It the venomous toad wears in his head, are derived from the Buddhist tales. In a similar way, it has been shown that tales current among the Hungarians and the numerous peoples of the Slavonic race have been derived from the Buddhist sources, through translations made for the Huns, who penetrated in: the time of Genghis Khan into the East of Europe."
बुद्धिस्ट बर्थ स्टोरीज, पृष्ठ १२ (भूमिका) २. देखिये उनका Influence of the Buddhist Jatakas on European
Literature' शीर्षक लेख, महाबोधि, जनवरी १९५०, पृष्ठ १०-१६; मिलाइये दि बुद्धिस्ट, जनवरी, १९४८, पृष्ठ ११८-१२० (कोलम्बो, सिंहल),