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( ४०० ) ५. (१) सुखेन्द्रिय (२) दुःखेन्द्रिय (३) सौमनस्येन्द्रिय (४) दौर्मनस्यन्द्रिय (५) उपेक्षेन्द्रिय
६. (१) चक्षु-संस्पर्शजा (२) श्रोत्र-संस्पर्शजा (३) घ्राण-संस्पर्शजा (४) जिह्वा-संस्पर्शजा (५) काय-संस्पर्शजा (६) मनो-संस्पर्शजा
७. (१) चक्षु-संस्पर्शजा, (२) श्रोत्र-सस्पर्शजा (३) घ्राण-संस्पर्शजा (४) जिह्वा-संस्पर्शजा, (५) काय-संस्पर्शजा (६) मनोधातु-संस्पर्शजा (७) मनोविज्ञानधातु-संस्पर्शजा
८. (१) चक्षु-संस्पर्शजा (२) श्रोत्र-संस्पर्शजा (३) घ्राण-संस्पर्शजा (४) जिह्वा-संस्पर्शजा (५) सुखाकाय-ससंस्पर्शजा (६) दुःखकाय-संस्पर्शजा (७) मनोधातु-संस्पर्शजा (८) मनोविज्ञानधातु-संस्पशजा
९. (१) चक्षु-संस्पर्शजा (२)श्रोत्र-संपर्शजा (३) प्राण-संस्पर्शजा (४) 'जिह्वासंस्पर्शजा (५) काय-संस्पर्शजा (६) मनोधातु-संस्पर्शजा (७) कुशला मनोविज्ञानधातुसंस्पर्शजा (८) अकुशला मनोविज्ञानधातुसंस्पर्शजा (९) अव्याकृता मनोविज्ञानधातुसंस्पर्शजा
१०. (१)चक्षु-संस्पर्शजा (२) श्रोत्र-संस्पर्शजा (३) घ्राण-संस्पर्शजा (४) जिह्वा-संस्पर्शजा (५) काय-संस्पर्शजा (६) सुखा मनोधातु संस्पर्शजा (७) दुःखा मनोधातु संस्पर्शजा (८) कुशला मनोविज्ञानधातु संस्पर्शजा (९) अकुगला मनोविज्ञानधातु संस्पर्शजा (१०) अव्याकृता मनोविज्ञानधातु संस्पर्शजा । ___उपर्युक्त सूची में कई संख्याएँ अनेक बार संगृहीत हैं । अभिधम्म के परिगणनों में यह बात नई नहीं है । गणनाओं के पीछे पड़ जाने की प्रवृत्ति का ही यह परिणाम है। संज्ञा, संस्कार, और विज्ञान स्कन्धों का विवरण भी जहाँ-तहाँ अल्प परिवर्तनों के साथ वेदना-स्कन्ध के समान ही दिया गया है । पञ्ह-पुच्छकं विभाग में प्रश्न हैं, जैसे पञ्चानं खन्धानं कति कुसला ? कति अकुसला ? कति अव्याकता? अर्थात् पाँच स्कन्धों में से कितने कुशल हैं ? कितने अकुशल ? कितने अव्याकृत? इसी प्रकार कति सुखाय वेदनाय सम्पयुत्ता ? कति दुक्खाय वेदनाय संम्पयुत्ता ? कति अदुक्खमसुखाय वेदनाय सम्पयुत्ता ? अर्थात् कितने सुख की