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११. अ. वे मन की अवस्थाएँ जिनका आलम्बन कोई ___अतीत की वस्तु है
(अतीतारम्मणा) आ. वे मन की अवस्थाएँ जिनका आलम्बन ___कोई भविष्य की वस्तु है
(अनागतारम्मणा) इ. वे मन की अवस्थाएँ जिनका आलम्बन कोई वर्तमान की वस्तु है
(पच्चुपनारम्मणा) २०. अ. जो धम्म किसी व्यक्ति के अन्दर अवस्थित
(अज्झत्ता) आ. जो धम्म किसी व्यक्ति के बाहर अवस्थित
(बहिद्धा) इ. जो धम्म किसी व्यक्ति के अन्दर और बाहर दोनों जगह अवस्थित है
(अज्झत्त-बहिद्धा) २१. अ. वे धम्म (मन की अवस्थाएँ) जिनका
आलम्बन कोई आन्तरिक वस्तु है (अज्झत्तारम्मणा) आ. वे धम्म (मन की अवस्थाएँ) जिनका
आलम्बन कोई बाहरी वस्तु है । (बहिद्धारम्मणा) इ. वे धम्म (मन की अवस्थाएँ) जिनका
आलम्बन दोनोंआन्तरिक और बाहरी वस्तुऍहै (अज्झत्न-बहिद्धारम्मणा) २. अ. वे धम्म जो दृश्य हैं और इन्द्रिय और उसके (सनिस्सनविषय के संनिकर्ष से उत्पन्न होने वाले हैं
सप्पटिघा) आ. वे धम्म जो दृश्य तो नहीं किन्तु इन्द्रिय और उसके (अनिद्दसन-अप्पसंनिकर्ष मे उत्पन्न होने वाले हैं
टिघा) इ. वे धम्म जो न तो दृश्य हैं औ न इन्द्रिय (अनिद्दसन-अप्पऔर उसके विषय के संनिकर्ष से उत्पन्न
टिधा) होने वाले हैं १०० दुक
(हेतु-वर्ग) १. अ. जो दूसरों के हेतु हैं--(हेतू)
आ. जो दूसरों के हेतु नहीं है--(न हेतू)