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विधान किस प्रकार किया गया इसका पूरा इतिहास भी दिया गया है। अपराधों के विचार से वर्गीकरण करने पर 'सुत्त - विभंग' के दो विभाग हैं ही (१) पाराजिक और ( २ ) पाचित्तिय, किन्तु भिक्षु और भिक्षुणी संघों को उद्देश्य कर उनका वर्गीकरण करने से उसके दो भाग होते हैं (१) महाविभंग या भिक्षुविभंग और (२) भिक्षुणी - विभंग ( भिक्खुनी विभंग ) । भिक्खु - विभंग में भिक्षुओं सम्बन्धी नियमों का विवरण है और भिक्खुनी - विभंग में भिक्षुणी-सम्बन्धी नियमों का । इन नियमों का इतिहास छोड़ कर केवल नियमों मात्र का संग्रह ही 'पातिमोक्ख' के नाम से प्रसिद्ध है । भिक्षु और भिक्षुणी संघ के अनुसार पानिमोक्ख के भी दो भेद है, यथा ( १ ) भिक्खु पातिमोक्ख और (२) भिक्खुनी पातिमोक्ख, जो क्रमयः महाविभंग ( भिक्खु विभंग) और भिक्खुनी - विभंग के हो संक्षिप्त रूप है । यदि हम चाहें तो सुत्त-विभंग को 'पातिमोक्ख' का विस्तृत रूप या व्याख्या कह सकते हैं, या 'पातिमोक्ख' को 'सुत्त-विभंग' का उपयोग के योग्य संक्षिप्तीकरण । भिक्षु संघ में उपोसथ (उपवसथ - उपवास व्रत ) नाम का एक संस्कार होता था । प्रत्येक मास की अमावस्या और पूर्णिमा को जितने भिक्षु एक गाँव या खेत के पास विहरते थे, सव एक जगह एकत्रित हो जाते थे और उन नव की उपस्थिति में 'पातिमोक्ख' ( प्रातिमोक्ष) का पाठ होता था । 'पातिमोक्छ' में, जैसा हम अभी कह चुके हैं, पाराजिक, पाचित्तिय आदि के वर्गीकरण में विभक्त २२७ अपराधों एवं तत्सम्बन्धी नियमों का विवरण है । 'पातिमोक्ख' का पाठ करते समय जैसे जैसे अपराधों के प्रत्येक वर्गीकरण का पाठ किया जाता था, उस सभा में सम्मिलित प्रत्येक भिक्षु से यह आशा की जाती थी कि वह उठ कर यदि उसने वह अपराध किया है तो उसका स्वीकरण कर ले, ताकि भविष्य के लिए संयम हो सके । उपवासादि रखने और पाप-प्रायश्चित्त करने की यह प्रथा प्राग्बुद्धकालीन भारत में अन्य सम्प्रदायों में भी प्रचलित थी । किन्तु बुद्धने उसे एक विशेष नैतिक अर्थ से अनुप्राणित कर दिया था । पाप को उघाड़ देने में वह छूट जाता है । चित्त-शुद्धि के लिए अपने पापों को खोल देना चाहिए। गुप्त रखने से वे और भी लिपटते है। पाप-स्वीकरण, क्षमा-याचना और आगे के लिए कृतसंकल्पता, यही प्रातिमोक्ष-विधान के प्रधान लक्ष्य थे। चूंकि ऐना करने के बाद प्रत्येक अपराधी भिक्षु एक प्रकार अपने-अपने अपराध के बोझ की उठा फेंकता था, उसमे विमुक्ति पा जाता था, इसलिए 'पातिमोक्ख' का अर्थ प्रत्येक का पाप-भार को फेंक देना, पाप से मुक्त हो जाना, पाप ने