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ही है । रामायण और महाभारत के साथ जातक की तुलना करते समय हमें एक बात का बड़ा ध्यान रखना चाहिए। वह यह है कि इन दोनों ग्रन्थों के सभी अंग बुद्ध-पूर्व युग के नहीं हैं । रामायण के वर्तमान रूप में २४००० इन्द्रोक पाये जाते हैं । जनश्रुति भी है और स्वयं रामायण में कहा भी गया है। 'चतुर्दिश सहस्राणि श्लोकानाम् उक्तवान् ऋषि: ( १ ४ २ ) । किन्तु बौद्ध महाविभाषाशास्त्र मे सिद्ध है कि द्वितीय शताब्दी ईसवी में भी रामायण में केवल १२००० इलोक थे । ' रामायण २-१९०-९४ में 'बुद्ध तथागत' का उल्लेख आया है । इसी प्रकार शक, यवन आदि के साथ संघर्ष (शकान् यवनमिश्रितान्१-५४-२१) का वर्णन है । किष्किन्धाकाण्ड ( ८. ४३-११-१२) में सुग्रीव के द्वारा कुरु, मद्र और हिमालय के बीच में यवनों और शकों के देश और नगरों को स्थित बताया गया है । इससे सिद्ध है कि जिस समय ये अंश लिखे ग, ग्रीक और सिथियन लोग पंजाब के कुछ प्रदेशों पर अपना आधिपत्य जमा चुके थे । ऊतः रामायण के काफी अंश महाराज बिबिमार या बुद्ध के काल के बाद लिखे गये । महाभारत में इसी प्रकार एडुकों (बौद्ध मन्दिरों) का स्पष्ट उल्लेख है। बौद्ध विशेषण चातुर्महाराजिक भी वहाँ आया है ( १२-३३९-४०) । रोमक (रोमन) लोगो का भी वर्णन (२-५१-१३ ) है । इसी प्रकार सिथियन और ग्रीक आदि लोगों का भी (३-१८८-३५) । आदि पर्व ( १ ६७-१३-१४) में महाराज अशोक को 'महासुर' कहा गया है और 'महावीर्योऽपराजितः ' के रूप में उसकी प्रशंसा की गई है । शान्ति पर्व में विप्णगुप्त कौटिल्य ( द्वितीय शताब्दी ईसवी पूर्व ) के शिष्य कामन्दक का भी अर्थविद्या के आचार्य के रूप में उल्लेख है । इस प्रकार अनेक प्रमाणों के आधार पर सिद्ध है कि महाभारत के वर्तमान रूप
१. हेमचन्द्र राय चौधरी : पोलिटिकल हिस्ट्री ऑव एन्शियन्ट इंडिया, पृष्ठ ३ (तृतीय संस्करण, १९३२)
२. उद्धरण के लिये देखिये जातक ( प्रथम खंड ) पृष्ठ २४ ( वस्तुकथा) पद - संकेत ३ ( भदन्त आनन्द कौसल्यायन का अनुवाद)
३. हेमचन्द्र राय चौधरी : पोलिटिकल हिस्ट्री ऑव एन्शियन्ट इंडिया, पृष्ठ ३
( तृतीय संस्करण १९३२ )
४. देखिये वहीं, पृष्ठ ४-५