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का काफी अंश बुद्ध, अशोक और कौटिल्य विष्णुगुप्त के बाद के युग का है।' जातक की अनेक गाथाओं और रामायण के श्लोकों में अद्भुत समानता है। दसरथ जातक (४६१) और देवधम्म जातक (६) में हमें प्राय: गम-कथा की पूरी रूपरेखा मिलती है । जयद्दिस जातक (५१३) में राम का दण्डकारण्य जाना दिखाया गया है। इसी प्रकार साम जातक (५४०) की मदृशता रामायण २. ६३-२५ से है और विन्टरनित्ज़ के मत में जातक का वर्णन अधिक सरल
और प्रारम्भिक है । ३ वेस्सन्तर जातक (५४७) के प्रकृति-वर्णन का साम्य इसी प्रकार वाल्मीकि के प्रकृति-वर्णन से है और इस जातक की कथा के साथ राम की कथा में भी काफी सदृशता है। महाभारत के साथ जातक की तुलना अनेक विद्वानों ने की है। उनके निष्कर्षों को यहाँ संक्षिप्ततम रूप में भी रखना वास्तव में बड़ा कठिन है । सब से बड़ी बात यह है कि महाजनक जातक (५३९) के जनक उपनिषदों और महाभारत के ही ब्रह्मज्ञानी जनक हैं ।" इसमें तनिक भी सन्देह नहीं। मिथिला के प्रासादों को जलते देखकर जनक ने कहा था 'मिथिलायां प्रदीप्तायां न मे दह्यति किचन' (महाभारत १२-१७; १८-१९; २१९५०) । ठीक उनका यही कथन हमें महाजनक जातक (५३९) में भी मिलना है तथा ४०८ और ५२९ संख्याओं के जातकों में भी । अतः दोनों व्यक्ति एक है. इसमें तनिक भी सन्देह का अवकाश नहीं। इसी प्रकार ऋप्य शुङ्ग (पालि इसिसिङ्ग ) की पूरी कथा नलिनिका जातक (५२६) में है । युधिष्ठिर (युधिट्ठिल) और विदुर (विधूर) का संवाद जातक-संख्या ४९.५ में है। कुणाल
१. अधिक प्रमाणों के लिए देखिये, वहीं, पृष्ठ ४-५ २. कुछ उद्धरणों के लिए देखिये जातक (प्रथम खंड) पृष्ठ २५ पद-संकेत ?
(भदन्त आनन्द कौसल्यायन का अनुवाद) ३. इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ १४७, पद-संकेत ४ ४. विटरनित्ज : इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ १५२ ५. रायस डेविड्स : बुद्धिस्ट इंडिया, पृष्ठ २६, विन्टरनिरज : इंडियन लिटरेचर,
जिल्द दूसरी, पृष्ठ १४६; हेमचन्द्र राय चौधरी : पोलिटिकल हिस्ट्री ऑव एन्शियन्ट इंडिया, पृष्ठ ३६-३७ (तृतीय संस्करण, १९३२), आदि, आदि