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( २९१ ) आख्यान भी। पर इनका भी जातकों से और सामान्यतः पालि साहित्य से घनिष्ठ सम्बन्ध है। हम देख चुके हैं कि तेविज्ज-सुत्त (दीघ १।१३) में अट्टक, वामक, वामदेव, विश्वामित्र, यमदग्नि, अङ्गिरा, भरद्वाज, वशिष्ठ, कश्यप और भुगु इन दस मन्त्रकर्ता ऋषियों के नाम के साथ-साथ ऐतरेय ब्राह्मण, तैत्तिरीय ब्राह्मण, छन्दोग ब्राह्मण और छन्दावा ब्राह्मण का भी उल्लेख हुआ है। इसी प्रकार हम यह भी देख चुके हैं कि मज्झिम-निकाय के अस्सलायण-मुत्तन्त (२।५।३) के आश्वलायन ब्राह्मण को प्रश्न-उपनिषद् के आश्वालायन से मिलाया गया है । मज्झिम-निकाय के आश्वलायन श्रावस्ती-निवासी हैं और वेद-वेदाङ्ग में पारगत (तिण्णं वेदानं पारग सनिघण्डु-केटभानं) हैं, इसी प्रकार प्रश्न-उपनिषद् के आश्वलायन भी वेद-वेदाङ्ग के महापंडित हैं और कौसल्य (कोशल-निवासी) हैं। २ जातकों में भी वैदिक साहित्य के साथ निकट सम्पर्क के हम अनेक लक्षण पाते हैं। उद्दालक जातक (४८७) में उद्दालक के तक्षशिला जाने और वहाँ एक लोकविश्रुत आचार्य की सूचना पाने का उल्लेख है। इसी प्रकार सेतुकेतु जातक (३७७) में उद्दालक के पुत्र श्वेतुकेतु का कलाओं की शिक्षा प्राप्त करने के लिए तक्षशिला जाने का उल्लेख है । शतपथ ब्राह्मण (११. ४. १-१) में उद्दालक को हम उत्तरापथ में भ्रमण करते हुए देखते है। अतः इससे यह निष्कर्ष निकालना असंगत नहीं है कि जातकों के उद्दालक और श्वेतुकेतु ब्राह्मणग्रन्थों और उपनिषदों के इन नामों के व्यक्तियों से भिन्न नहीं है । जर्मन विद्वान् लूडर्स ने सेतकेतु जातक (३७७) में आने वाली गाथाओं को 'वैदिक आख्यान और महाकाव्य-युगीन काव्य को मिलाने वाली कड़ी' कहा है, जो समुचित १. देखिये पोछे दोघ-निकाय को विषय-वस्तु का विवेचन। २. हेमचन्द्र राय चौधरी : पोलिटिकल हिस्ट्री ऑव एन्शियन्ट इंडिया, पृष्ठ
२१ (तृतीय संस्करण, कलकत्ता, १९३२) ३. हेमचन्द्र राय चौधरी : पोलिटिकल हिस्ट्री ऑव एशियन्ट इंडिया, पृष्ठ ४१
(तृतीय संस्करण, कलकत्ता, १९३२); विन्टरनित्तः इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ १२३ *. "connecting link between the vedic epic tea and the epic poetry" विन्टरनित्व-कृत इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ १२३, पर-संकेत २ में उद्धृत।