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( २२३ ) माना है। धम्मपद का चौथा रूप फ-ख्यू-किङ नामक चीनी अनुवाद में पाया जाता है। यह अनुवाद मूल संस्कृत धम्मपद से २२३ ई० में किया गया। मुल आज अनुपलब्ध है । अतः पालि धम्मपद से उसकी तुलना तो नहीं की जा सकती, किन्तु चीनी अनुवाद के आधार पर कुछ ज्ञातव्य वातें अवश्य जानी जा सकती हैं। पहली बात तो यह है कि चीनी अनुवाद मात्र अनुवाद ही नहीं है। उसे या तो एक अर्थ-कथा ही कहा जा सकता है. या यह स्वीकार करना पड़ेगा कि उसमें वास्तविक धर्मपद का काफी परिवर्द्धन किया गया है। इस चीनी अनुवाद में पालि धम्मपद के २६ वर्गों या अध्यायों की जगह ३९ तो अध्याय हैं और ४२३ गाथाओं की जगह ७५२ गाथाएँ हैं। इनका तुलनात्मक विवरण इस प्रकार है-- चीनी धम्मपद (फ-ख्यू-किङ)
पालि धम्मपद १. अनित्यता (२१) २. ज्ञान-दर्शन (२९) ३. श्रावक (१९) ४. श्रद्धा (१८)
अनपलब्ध ५. कर्तव्य-पालन (१६) ६. विचार (१२) ७. मैत्री भावना (१९) ८. संलाप (१२) ९. यमक वग्ग (२२)
१. यमक वग्ग (२०) १०. अप्रमाद वग्ग (२०)
२. अप्पमाद वग्ग (१२) ११. चित्त वग्ग (१२)
३. चित्त बग्ग (११) १२. पुप्फ वग्ग (१७)
४. पुप्फ वग्ग (१६) १३. बाल वग्ग (२१)
५. बाल वग्ग (१६) १४. पंडित वग्ग (१७)
६ . पंडित वग्ग (१४) १५. अर्हन्त वग्ग (१०)
७. अर्हन्त वग्ग (१०) १६. सहस्र वग्ग (१६)
८. सहस्स वग्ग (१६) १७. पाप वग्ग (२२)
९. पाप वग्ग (१३) १८. दंड वग्ग (१४)
१०. दंड वग्ग (१७)