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( २०८ ) ३. द्वत्तिंसाकारं (शरीर के ३२ अङ्ग)--शरीर के ये ३२ (गन्दगियों से भरे) अङ्ग हैं, जैसे कि केश, रोम, नख, दाँत आदि। ४. कुमारपञ्हं (कुमार विद्यार्थियों के लिये प्रश्न)
एक क्या है ? सभी प्राणी आहार पर स्थित हैं। दो क्या है ? नाम और रूप। तीन क्या है ? तीन वेदनाएँ। चार क्या है ? चार आर्य-सत्य। पाँच क्या है ? पाँच उपादान-स्कन्ध । छ: क्या है ? छ: आन्तरिक आयतन । सात क्या है ? बोधि के सात अङ्ग। आठ क्या है ? आर्य अष्टाङ्गिक मार्ग। नौ क्या है ? प्राणियों के नौ आवास। दस क्या है ? दस बातें, जिनसे मुक्त होने पर मनुष्य अर्हत्
बनता है। ५. मङ्गल सुत्त (मङ्गल-सुत्र)--प्राणी नाना प्रकार के मङ्गल-कार्य करते है। किन्तु सर्वोत्तम मंगल क्या है ?
माता-पिता की सेवा, पत्नी और पुत्रों का भरण-पोषण,
शान्ति मे अपना काम करना--यही सर्वोत्तम मंगल है। " दान देना, धर्म का जीवन, जाति-बन्धुओं की सहायता करना,
कर्म निर्दोष रखना--यही सर्वोत्तम मंगल है। " पाप और मद्य-पान से अलग रहना, संयमी जीवन,
धर्म के कार्यो में आलस्य न करना--यही सर्वोत्तम मंगल है ! " गुरुजनों का आदर, विनम्रता, सन्तोष-वृत्ति, कृतज्ञता,
समय पर धर्म को श्रवण करना---यही सर्वोत्तम मंगल है ! " क्षमा, ब्रह्मचर्य, ज्ञानी भिक्षओं का दर्शन,
समय पर धर्म का माक्षात्कार--यही सर्वोत्तम मंगल है ! " तपश्चर्या, ब्रह्मचर्य, चार आर्य सत्यों का दर्शन अन्त में निर्वाण का साक्षात्कार--यही सर्वोत्तम मंगल है !"