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ज्ञानावरणोय कर्म नी उत्कृष्ट स्थिति ३० कोड़ा कोड़ी सागरोपमनी, दर्शनावरणीय कर्मनी उत्कृष्ट ३० कोडाकोड़ी सागरोपमनी, वेदनीय कर्मनी उत्कृष्ट स्थिति ३० कोड़ा कोड़ी सागरोपमनी, मोहनीय कर्मनी उत्कृष्ट स्थिति ७० कोड़ा कोड़ी सागरोपमनी, नाम कर्म नी उत्कृष्ट स्थिति २० कोड़ा कोड़ी सागरोपमनी , गोत्र कर्म नी उत्कृष्ट स्थिति २० कोडा कोडी सागरोपमनी अने अन्तराय कर्मनी उत्कृष्ट स्थिति ३० कोडा कोडी सागरोषमनी एम आयुष्य सिवाय सात कर्मों नी उत्कृ -ष्ट स्थिति खपावीने पल्योपम नो असंख्यात मां भाग न्यून एक कोडा कोडी सागरोपम प्रमाण स्थिति बाकी रहे . तेने यथा प्रवृत्तिकरण कहेवाय छे ,
छल्ला एक पुद्गल परावर्तन काल मां आववा छतां पण यथा प्रवृत्तिकरण कर्या वगर कोई पण आत्मा सम्यक्त्व पामी शकतो नथी. परन्तु यथाप्रवृत्ति करण कर्यां पछीज सम्यक्त्व पामी शके छे , तेमां कर्मज सम्यक्त्व पामवामाँ कारण भूत छे .
आवु यथा प्रवृत्तिकरण पण आत्मा अनंत वार करे छे, परन्तु यथाप्रवृत्तिकरण करनार बधा आत्माओ सम्यक्त्व पामी शकता नथी. जे आत्मा नी भवितव्यता नी परिपाक स्थिति न थई होय ते भविप्रात्मा पण सम्य क्त्व पामी शकतो नथी. परन्तु जे भवि आत्मा नी भवि