Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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प्राचीन स्थितिका अन्वेषण
१९३ में जनकोंके राजवंशको हटाकर लिच्छवि गणतंत्रकी स्थापना की हो। ___ जैन शास्त्रोंके अनुसार भगवान महावीरके जन्मसे २७८ वर्ष पूर्व भगवान पार्श्वनाथका जन्म काशी नगरीमें हुआ था। यतः महावीर भगवानका जन्म ईस्वी पूर्व ५९८ में हुआ था अतः भगवान पार्श्वनाथका जन्म ईस्वी पूर्व ८७७ में हुआ था। उनकी आयु सौ वर्षकी थी। तीस वर्षकी अवस्थामें उन्होंने प्रव्रज्या धारण की और ईस्वी पूर्व ७७७ में विहार प्रदेशमें स्थित सम्मेद शिखर ( पारसनाथ हिल ) से निर्वाण लाभ किया । ___ डा. राय चौधुरीने (पो० हि० एं० ई०, पृ० १२४ ) लिखा है कि कुम्भकार जातकके उल्लेखानुसार उत्तर पाश्चालका राजा दुम्मुख, कलिंगका राजा करण्डु, गन्धारका राजा नग्गजि ( नग्नजित) और विदेहका राजा नमि ये सब समकालीन थे। जैन उत्तराध्ययन सूत्र में इन सबको जैन धर्मका अनुयायी कहा है। चूंकि पार्श्वनाथको इतिहासज्ञ जैन धर्मका संस्थापक मानते हैं इसलिये डा० राय चौधुरीने इन राजाओंको ७७७ ई० पूर्वसे ५४३ ई० पूर्व तकके समयमें रखा है। यद्यपि उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराध्ययनके कथनपर निःशंक विश्वास नहीं किया जा सकता, तथापि उन्होंने यह स्वीकार किया है कि ये सभी राजा भगवान महावीरके पूर्ववर्ती थे, क्योंकि इनमेंसे कुछ का निर्देश एतरेय ब्रा० (७-३४ ) तथा शतपथ० (८, १-४-१०) में भी पाया जाता है।
राजा नमिका पुत्र कलार जनक विदेहके जनकवंशका अन्तिम राजा था, मज्झिम निकायके मखादेव जातकसे यह प्रकट होता है। डा. राय चौधुरी (पो० हि एं० ई०, पृ०७१)
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