Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
View full book text
________________
२४४
जै० सा० इ०-पूर्व पीठिका कुमार अवस्थासे मतलब ही अविवाहित अवस्थासे है, क्योंकि कुमारसे ही हिन्दीमें बहुप्रचलित कुंवारा शब्द निष्पन्न हुआ है । और नियुक्तिगाथा २५५ से उसी अर्थकी पुष्टि होती है।
कुमार अवस्थामें प्रवजित होने वाले उक्त पांचो तीर्थङ्कर दिगम्बर मान्यताके अनुसार अविवाहित थे। किन्तु श्वेताम्बर मल्लिको छोड़कर शेष सबको विवाहित ही मानते हैं।
अतः भगवान महावीरके अविवाहित होनेकी मान्यता एकांगी प्रतीत नहीं होती, श्वेताम्बरपरम्परामें भी उसका अस्तित्व पाया जाता है । कमसे कम आवश्यकनियुक्तिकार तो महावीरको अविवाहित ही मानते थे क्योंकि उक्त उल्लेखोंके साथ ही उन्होने अपने महावीरचरितमें उनके विवाह आदिका कोई संकेत नहीं किया है । अस्तु,
महावीरके गर्भपरिवर्तनकी कथामें जिस प्रकार डा० याकोवी को कृष्णके गर्भपरिवर्तनकी अनुकृति प्रतीत होती है, हमें भी महावीरकी पत्नी यशोदाके नामके साथ बुद्धकी पत्नी यशोधरा का स्मरण हो आता है और लगता है कि महावीरके जीवनमें यशोदाका लाया जाना, कहीं बुद्धकी पत्नी यशोधराकी अनुकृतिका तो परिणाम नहीं है ?
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org