Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

View full book text
Previous | Next

Page 743
________________ ( ६.) कूर्म पुराण १२०. क्षुद्र विमान घिभक्ति ५६६ . कृतिकर्म ६८१ क्षेमेन्द्र ३६२ ... कृत्तिकार्य ३४६ खरतरगच्छ ५४१, कृष्ण स्वामी आयंगर १५७ रवारवेल ७, ३३३टि., ३५२, कृश सांकृत्य ४३१, ४३२ ३५५, ४७६, ४८०, ५५० केन उपनिषद् ५८ गंग माला जातक १८८ . के. बी. पाठक २६७ ... गंडिकानुयोग ५८५ केशी कुमार श्रमण २२०, ३६५, गांगेय ४०३ ६६०, ७०८, गणिपिडग ५५०, ७०३, गणि विद्या ७१२ कैकय ३१, ६६ गन्धार १६३ कोत्स प्राचार्य १२ गरुण पुराण १२० कोल ब्रुक २, ५६७, गरुणोपपात ५६३ कोसल २८, ३०, ३२, ५०, १७६, गर्दभिल्ल २८६, २६१, २६४, १८५, १८६, १८७, १६१, १६७, गार्ग्य ५६६, २३४, ६५८, गार्व १३४, १३६, कौटिल्य २११ गीता १५० अादि, १६०, १६२ कौटिल्य अर्थशास्त्र ४३३, ४७७, गीता रहस्य १४६ ६०३,६०७, ६८७, गुणधर आचार्य ६७६ कौशाम्बी ३०, २३६, गुण सुन्दर ३५७ कौशिक ५६४, गुणाढ्य ३६२, ३६६, ३६७ कौशिक गृह्य सूत्र ५६४, गुप्ति गुप्त ३५० कौशिक स्मृति ५६४ गोपथ ब्राह्मण ४०,५६७ :कौषीतकी उपनि० ५४, २०७, गोपाल बालक ३२८, " ब्राह्मण ६६ गोम्मट सार कर्मकाण्ड ५८८ क्रियाविशाल पूर्व ६३२ गोभ्भट सार जीवकाण्ड ४४२ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778