Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 763
________________ ( २६ ) ऋषिमण्डल पद्म सुन्दर रचित बृचि सहित एतरे० श्रा० सा० भा० एतरेय आरण्यक सायण अनन्दाश्रम मुद्रणालय भाष्य पूना एत० ब्रा० एतरेय ब्राह्मण अानन्दाश्रम मुद्रणालय पूना एशि० इ० एशियंन्ट इण्डिया , रा० ब० कृष्ण स्वामी प्रायंगर एशि० इ० एशियन्ट इण्डिया पार० सी० मजूमदार श्रौप० सू० औपपातिक सूत्र पं० भूरामल अहमदा _ वाद प्रकाशित पोरन लोकमान्य बालगंगाधर तिलक कठ० उ० कठ उपनिषद् गीताप्रेस गोरखपुर क० पा० कसाय पाहुड जैन संघ मथुरा कर्मकाण्ड कर्मकाण्ड गोम्भटसार रायचन्द शास्त्रमाला प्रगास क० व० भा० कलक्टेड वर्क्स आफ डा० पार० जी० भण्डारकर पूना क० सू० । कल्प सूत्र सुबोधिनी टीका कल्प सू० सहित का० वृ० काशिका वृत्ति किरातार्जुनीय मल्लिनाथीय टीका सहित निर्णयसागर प्रेस बम्बई कुमार संभव निर्णयसागर प्रेस बम्बई कूर्म पु० कूर्म पुराण मनसुखलाल मोर कलकत्ता Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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