Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 767
________________ ( ३० ) पउमचरिउ पञ्चवस्तुक पउम० पञ्चत्र विमल गणि रचित जीवनचन्द शाकर चन्द . जवेरी बम्बई पञ्च ब्रा० पञ्चा० विव० पञ्चविंशति ब्राह्मण पञ्चाशक विवरण निर्णय सागर प्रेस बम्बई से मुद्रित वीरमगांव (गुजरात) हेमचन्द्राचार्य प्रणीत पट्टावली समुच्चय परिशिष्ट पर्व पट्टा० समु० परि० प० । प० प० । पा० चा० पार्श्वनाथका चातुर्याम हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर बम्बई पा० भा. पा० महा० पा० स० म० पाणिनिकालीन भारत मोतीलाल बनारसी दास काशी पातञ्जल महाभाष्य निर्णयसागर प्रेस बम्बई पाइअसद्दमहराणव पं० हरगोविन्द दास कलकत्ता पाली टीका परमत्थ जोतिका पीप इन टु अर्ली हिस्ट्री भाण्डारकर लेख संग्रह पूना, जि० १ पो. हि० एं० इ० राय चौधरी प्रज्ञा० पोलिटिकल हिस्ट्री श्राफ एंशियन्ट इंडिया प्रज्ञापना ( मलयगिरिटीका सहित ) प्रवचन सारोद्धार प्रव० सारो श्रीनेमिचन्द्राचार्य रचित Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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