Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

View full book text
Previous | Next

Page 768
________________ प्रश्नोपनिषद् उपनिषदांक गीता प्रेस गोरखपुर प्रा० भा० सं० इ० स्व. रमेशचन्द्रदत्त प्री० बु० इ० फि० प्राचीन भारत की सभ्यता का इतिहास हिस्ट्री श्राफ प्री बुद्धि-स्टिक इंडियन फिलॉसोफी प्री हिस्टोरिक एशियन्ट एण्ड हिन्दू इण्डिया डा० बरुश्रा प्रीहि० ३० डा० राखलदास बनर्जी प्रेमी अभिनन्दन ग्रन्थ प्रो० रा. ए. सो. बं. प्रोसीडिंग्स् रायल एशियाटिक सोसायटी श्राफ बंगाल बुद्धिस्ट इण्डिया बुद्धचर्या बोधपाहुड बु०३० बु० च० बोधपा० बौधायन धर्म सूत्र रे डेविड्स । राहुल सांकृत्यायन . षट् प्राभृतादि संग्रहान्तर्गत मा० ग्रन्थ मा० चौखम्बा संस्कृत सिरीज वाराणसी प्राचार्य नरेन्द्रदेव मनसुखलाल मोर शोलापुर संस्करण श्री जैन भास्करोदय प्रेस जामनगर बौ० ध० द. ब्रह्माण्डपु० भ० प्रा० भ० सू० अभयटी० बौद्धधर्म और दर्शन ब्रह्माण्ड पुराण भगवती अाराधना भगवती सूत्र अभयदेव टीका सहित Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778