Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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संघ भेद
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उक्त आपत्तियोंके अतिरिक्त उक्त कथामें एक बड़ी आपत्ति यह है कि वह कथा वोटिक सम्प्रदायकी उत्पत्तिसे सम्बद्ध है। उसमें बतलाया' है कि वोटिक शिवभूतिसे वोटिक सम्प्रदाय उत्पन्न रह गये अन्य अपने साथी साधुअोंके प्राचारसे असन्तोष प्रकट किया; तथा उन्हें मिथ्या विश्वासी और अनुशासनहीन घोषित किया' ।
-कै• हि०, ( संस्क० १६५५) पृ० १४७ । श्रार० सी० मजूमदारने लिखा है-'जब भद्रबाहु के अनुयायी मगधसे लौटे तो एक बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ । नियमानुसार जैन साधु नग्न रहते थे किन्तु मगध के जैन साधुअोंने सफेद वस्त्र धारण करना प्रारम्भ कर दिया । दक्षिण भारतसे लौटे हुए जैन साधुअोंने इसका विरोध किया। क्योंकि वे पूर्ण नग्नताको महावीरकी शिक्षाओंका श्रावश्यक भाग मानते थे। विरोधका शान्त होना असम्भव पाया गया और इस तरह श्वेताम्बर (जिसके साधु सफेद वस्त्र धारण करते हैं ) और दिगम्बर (जिसके साधु एकदम नग्न रहते हैं) सम्प्रदाय उत्पन्न हुए । जैन समाज अाज भी दोनों सम्प्रदायोंमें विभाजित है ।'-एंशि० इं. पृ० १७६ ।
श्री पं० विश्वेश्वरनाथ रेऊने लिखा है-कुछ समय बाद जब अकाल निवृत्त हो गया और कर्नाटकसे जैन लोग वापिस लौटे तब उन्होंने देखा कि मगधके जैन साधु पीछेसे निश्चित किये गये धर्म ग्रन्थोंके अनुसार श्वे तवस्त्र पहनने लगे हैं। परन्तु कर्नाटकसे लौटनेवालोंने इस बातको नहीं माना। इससे वस्त्र पहनने वाले जैन साधु श्वेताम्बर और नग्न रहनेवाले दिगम्बर कहलाये।'
-भा० प्रा० रा०, भाग २, पृ० ४१ । हा० .-पृ० ११, हि० इं० लि., (विन्टर ) जि० २, पृ० ४३१.३२ । १-वोडिय सिषभईश्रो वोडियलिंगस्स होइ उप्पत्ती'।
-विसे० भा०, गा० २५५२ ।
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