Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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जै० सा० इ०-पूर्व पीठिका बारहवें स्कन्धके वेदशाखा प्रकरणमें जातुकर्यको ऋग्वेदीय आचार्य माना जाता है । वायु पुराण अ० २: में और ब्रह्माण्ड पुराण, पाद २, अ०३५ में द्वैपायन से पहले जातुकर्ण्य, पराशर, शक्ति आदि व्यास माने गये हैं । वायु पुराण के प्रथम अध्यायमें लिखा है कि वशिष्ठ का पौत्र जातुकर्ण्य था। उसी से व्यासने वेदाध्ययन किया । ब्रह्मांड पुराण ( १-१-११ ) में भी यहीं बात लिखी है। वृहदारण्यक उपनिषद् २-'-३ और ४-६-३ में भी लिखा है कि पाराशर्य-व्यास ने जातुकर्ण्य से विद्या सीखी । वायु पुराणके अनुसार जातुकय॑ वशिष्ठका पौत्र था। अतः वह पराशर का भाई हो सकता है । ( वै० वा. इ० भा० १, पृ० ६५ ) । अतः जनुकर्णि के स्थान में जातुकर्ण्य पाठ ठीक प्रतीत होता। .. वाल्मीकि- रामायणके रचयिता वाल्मीकि ऋषि प्रसिद्ध हैं।
रोम हर्षणी ( रोम हर्षण)-पुराण संहिताओं के रचयिता के रूपमें एक सूत रोमहर्षण का नाम मिलता है । वायु पुराण में लोमहर्षण या रोमहर्षण नामकी व्याख्या इस प्रकार की है-जो अपने कथनों के द्वारा सुनने वालेके शरीरके रोमोंको पुलकित कर देता है वह वक्ता रोमहर्षण कहा जाता है। ___ सत्यदत्त-सत्य काम जावाल, सत्ययज्ञ आदि नामके व्यक्तियों का तो निर्देश मिलता है। किन्तु सत्यदत्त नामकी जानकारी नहीं मिल सकी।
व्यास--पराशर ऋषि के पुत्र महाभारत के रचयिता महर्षि व्यास प्रसिद्ध है।
एलापुत्र या इलापुत्र-श्री कापड़ियाने लिखा है कि पुराणों से पता चलता है कि प्रजापति कदमका पुत्र इल या एल था। वह वाल्हीक देशका राजा था। वह स्त्री रूपमें परिवर्तित हो गया
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