Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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वीर निर्वाण सम्वत्
३१५ उसके पुत्र कालासोकने २८ वर्ष राज्य किया । कालासोकको राज्य करते हुए १० वर्ष बीतने पर बुद्धके परिनिर्वाणको १०० वर्ष हुए। ___ काला'सोकके पुत्र दस भाई थे। उन्होंने २२ वर्ष राज्य किया। फिर क्रमसे हनन्द हुए । उन्होंने भी २२ वर्षे राज्य किया । मौर्य क्षत्रियोंके वंशमें श्री चन्द्रगुप्त हुए । ब्राह्मण चाणक्यने नौवें धननन्दको मारकर चन्द्रगुप्तको सकल जम्बूद्वीप का राजा बनाया। उसने २४ वर्ष राज्य किया। उसके पुत्र १-'कालासोकस्स पुत्ता तु अहेसुदस भातुका ।
द्वावीसति ते वस्सानि, रज्जं समनुसासिसु ॥ १४ ॥ नव नन्दा ततो पासु कमेनेव नराधिपा। ते पि द्वावीस वस्सानि रज्जं समनुसासिसु ॥ १५ ॥ मोरियानं खत्तियानं वंसे जातं सिरोधरं । चंदगुत्तोति पज्ञातं चाणक्को ब्राह्मणो ततो॥ १६ ॥ नवमं धननन्दं तं घाटेवा चंडकोषवा । सकले जंबुदोपस्मि, रज्जे समभिसिञ्चि सो ॥ १७ ॥ सो चतुवीस वस्सानि, राजा रज्ज अकारयि । तस्स पुत्तो विंदुसारों अट्ठवीसति कारयि ॥ १८ ॥ विदुसार सुता आसुसतं एको च विस्सुत्ता । असोको आसि तेसं तु पुञ्जतेजो बलिद्धिको ॥ १६ ॥ वेमाति के भातरो सो हत्वा एकूनकं सतं । सकले जंबुदीपस्मि एकरज्जं अपापुणि ॥ २० ॥ जिननिव्वाण तो पच्छा, पुरे तस्साभिसेकतो। साहारसं वस्ससतद्वयं एवं विजानियं ।। २१॥"
-महावंश, ५ परि०
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