Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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वीर निर्वाण सम्वत्
पौराणिक कालगणना हिन्दु पुराणकारोने भी शैशुनाग, नन्द और मौर्य राजाओंके राज्यकालका वर्णन किया है। विष्णु, मत्स्य, भागवत, ब्रह्माण्ड और वायुपुराणमें उनकी कालगणना मिलती है। किन्तु विष्णु पुराण, और भागवत में प्रत्येक राजाका राज्यकाल नहीं दिया, केवल उनके नाम तथा उनके वंशका राज्यकाल दिया है। शेष तीनों पुराणों में प्रत्येक राजाके साथ उनके राज्यकालके वर्ष भी दिये हैं। परन्तु उनमें भी एकरूपता नहीं है । अनेक नामोंमें और राज्यकालके वर्षों में एक दूसरेसे भिन्नता है।
श्रीमद्भागवतमें (स्क० १२, अ०१ ) जो राजवंशावली दी है, उसका स्थान नहीं बतलाया कि ये राजवंश किस देश में राज्य करते थे। किन्तु विष्णुपुराणमें ( अ०१३) उन्हें मगध देशका शासक बतलाया है, और लिखा है कि बृहद्रथ वंशके अन्तिम राजा रिपुञ्जयको उसका मंत्री सुनिक मार देगा और अपने पुत्र प्रद्योतका राज्याभिषेक करेगा। विष्णु, भागवत और मत्स्यपुराण में दत्त वंशावली इस प्रकार हैविष्णु पुराण
मत्स्य पुराण प्रद्योत प्रद्योत
बालक २३ वर्ष
भागवत
बलाक
पालक
पालक
२८
,
विशाखयूप विशाखयूप विशाखयूप ५३ , १ --भागवतमें पुरञ्जय नाम है और मंत्रीका नाम शुनक है ।
मत्स्य में मंत्रीका नाम पुलक है ।
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