Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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जै० सा० इ०-पूर्व पीठिका यदि यह मान लिया जाये कि स्थूलभद्र नन्द मंत्री शकटालके पुत्र थे तो उक्त कथाओंको देखते हुए यह मानना होगा कि महापद्म नन्दके समयमें शकटाल युवा थे। महापद्मनन्दका राज्यकाल ईस्वी पूर्व ३६६ से प्रारम्भ होता है क्योंकि ईस्वी पूर्व ४०६ तक तो नन्दिवर्धन वगैरहका राज्यकाल समाप्त होता है। उनके पश्चात् ४३ वर्ष महानन्दीने राज्य किया और महानन्दीका पुत्र महापद्मनन्द था। तथा महापद्म और उसके पुत्रोंने ४० वर्ष राज्य किया तत्पश्चात् ईस्वी पूर्व ३२६-३२५ के लगभग चन्द्रगुप्त मौर्य मगधके सिंहासन पर बैठा । ___अतः अन्तिम नन्दके मंत्री शकटालका जन्म ईस्व' पूर्व ४०० से पहले नहीं होना चाहिये । किंतु मुनि कल्याण विजय जीने पट्टावलियोंके अनुसार स्थूलभद्रका जन्म ईस्वी पूर्व ४०० से पहले अर्थात् वीर निर्वाणके २६वें वर्षमें बतलाया है। तथा तीस वर्षकी अवस्थामें उन्होंने दीक्षा ली थी। अर्थात् शकटालके महापद्मनन्दका मंत्री होनेसे पूर्व ही स्थूलभद्रने दीक्षा ले ली थी। किंतु श्वेताम्बर अनुश्रुतिके ही अनुसार महापद्मनन्दका रोषभाजन होनेके पश्चात् शकटालकी मृत्यु होनेपर स्थूलभद्रने दीक्षा ली थी। अतः ईस्वी पूर्व ४०० के लगभग शकटाल पुत्र स्थूलभद्रका जन्म होना संभव नहीं हैं. हाँ शकटालका जन्म होना संभव है। अतः स्थूलभद्रका जन्म ईस्वी पूर्व ३७० के लगभग होना चाहिये । और तीस वर्षकी वयमें ईस्वी पूर्व ३४० के लगभग उन्हें प्रव्रजित होना चाहिये। वह समय महापद्म नन्दके राज्यका अन्तिम समय था और शकटालने वृद्धावस्थामें पदनिक्षेप किया था। बालब्रह्मचारी भद्रबाहु श्रुतकेवली भी शकटालके समवयस्क हो सकते हैं। उन्होंने भी सौ वर्षके लगभग आयु पाई हो यह संभव है । यद्यपि
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