Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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वीर निर्वाण सम्वत्
अजातशत्रु
अजातशत्रु
अण्वायपन है,
भूमिमित्र १४ .,
अर्भ
दर्भक
अजातशत्रु २७
वंशक
२४ ,
उदयन
अजय
उदासी ३३ ,,
नन्दिवर्धन
नन्दिवर्धन
नन्दिवर्धन ४० ,,
महानन्दि
महानन्दि
महानन्दि ४३ ,,
महापद्मनन्द
महापद्मपतिनन्द
महापद्म ८८,,
आठ पुत्र
आठ पुत्र
आठ पुत्र
१२,
इस प्रकार इन तीनों पुराणोंमें प्रद्योतोंका राज्यकाल १३८ वर्ष (मत्स्यमें १२५ वर्ष ), शिशुनागोंका ३६२ वर्ष और नन्दोंका १०० वर्ष बतलाया है। मत्स्यमें विन्ध्यसेन ( विम्बसार ) और अजात शत्रुके मध्यमें दो नाम ऐसे हैं जो अन्यत्र नहीं पाये जाते। इसीसे उसमें शिशुनागवंशी राजाओंकी संख्या १२ हो गई है। किन्तु उनका राज्यकाल ३६२ वर्ष ही बतलाया है जब कि प्रत्येक राजाके राज्यकालका संकलन करनेसे उसमें १८ वर्षकी कमी रह जाती है।
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