Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
View full book text
________________
जै० सा० इ०-पूर्व पीठिका मिलाकर १०० वर्ष पूरे किये हैं। इस प्रकार नन्दोंके १०० वर्ष राज्य करनेकी अनुश्रुति है। जैनाचार्य हेमचन्द्रने महाबीर निर्वाण से १५५ वर्ष पश्चात् चन्द्रगुप्तका राजा होना लिखा है। तथा महाबीर निर्वाणसे ६० वर्ष पश्चात् नन्दका राजा होना लिखा है। अतः उन्होंने १५५-६० = ६५ वर्ष तक नन्दोका राज्य बतलाया है जो १०० वर्षकी पौराणिक अनुश्रुतिसे मेल खाता है। .
किन्तु अन्य जैन ग्रन्थकारोंने १५५ वर्ष तक नन्दोंका राज्य बतलाया है और इस तरह हेमचन्द्र तथा उनकी काल गणनामें ६० वर्षका अन्तर पड़ता है। वही अन्तर हम वायु पुराण तथा अन्य पुराणोंकी कालगणनामें पाते हैं । वायु पुराण महापद्मनन्दका राज्यकाल २८ वर्ष बतलाता है, किन्तु अन्य पुराणोंमें ८८ वर्ष बतलाया है । अतः ८८-२८ %D६० वर्षका अन्तर स्पष्ट है। ___ इस परसे ऐसा प्रतीत होना स्वाभाविक है कि महापद्मनन्दके राज्य कालको लेकर दो अनुश्रुतियाँ प्रचलित थीं। एक अनुश्रुतिके अनुसार उसने ८८ वर्ष राज्य किया और दूसरी अनुश्रृं तिके अनुसार उसने ८ वर्ष राज्य किया। अन्य जैन ग्रन्थकारोंने प्रथम अनुश्रुतिको अपनाकर नन्दोंका राज्यकाल १५५ वर्ष बतलाया। किन्तु हेमचन्दने दूसरी अनुश्रुतिको अपनाकर नन्दोंका राज्यकाल ६५ वर्ष बतलाया है।
अतः हेमचन्द्रके अनुसार महावीर निर्वाणसे ११५+२८ :५२ = १५५ वर्ष पश्चात् चन्द्रगुप्त राजा हुआ। और अन्य ग्रन्थकारोंके अनुसार ११५+ ८८+१२% २१५ वर्ष पश्चात् चन्द्रगुप्त राजा हुआ।
इसपर एक आशङ्का यह की जा सकती है कि इस तरहसे तो नन्दोंका राज्यकाल हेमचन्द्र के अनुसार २८+१२ = ४० वर्ष
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org