Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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वीर निर्वाण सम्वत्
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अजातशत्रु' गद्दी पर बैठा और लगभग इसी समय श्रेणिककी मृत्यु हुई। चूँकि भगवान महावीरको केवलज्ञान ई० पूर्व ५५७ में हुआ अतः श्रेणिक केवल ४-५ वर्ष तक ही भगवान महावीर के उपदेशोंसे लाभान्वित हो सका ।
ई० पूर्व ५५२ में राज्यासन पर बैठते समय अजातशत्रुकी आयु २३ वर्ष अवश्य होनी चाहिये; क्योंकि इतनी अवस्था हुए बिना पिताको कारागारमें डाल कर राज्यासनपर बैठनेको हिम्मत नहीं हो सकती । अतः अजातशत्रुका जन्म ई० पूर्व ५७५ में होना चाहिए । और उससे कमसे कम एक वर्ष पूर्ण चेलन के साथ राजा श्रेणिकका विवाह होना चाहिए ।
राजा श्रेणिकके साथ चेलनाका विवाह कराने में श्रेणिकपुत्र अभयकुमारका हाथ था और वह उस समय मगधका प्रधान मंत्री था । अतः उस समय उसकी आयु कमसे कम लगभग २४ वर्ष तो अवश्य होनी चाहिए । अतः कहना होगा कि भगवान महावीर और श्रेणिकपुत्र अभयकुमार लगभग समवसक थे ।
अतः यदि ईस्वी पूर्व ६०० के लगभग अभयकुमारने जन्म लिया हो तो उस समय श्रेणिककी आयु १८ - १६ वर्षकी अवश्य
१ - दीघनिकाय ( सामञ्जफलसुत्त ) में अजातशत्रुकी भगवान महावीर से भेंट होने के समय महावीरको 'श्रद्धगतो वयो'- अर्धगतत्रय लिखा है । श्रजातशत्रु पिताकी मृत्युके पश्चात् ही भेंटके लिये गया था । अतः यदि वह ५५२ ई० राज्यासनपर बैठा और उसके पश्चात् महावीर स्वामीके पास गया तो उस समय महाबीर स्वामीकी श्रवस्था ५१-५२ के लगभग होना चाहिये । अतः दीघनिकाय के इस उल्लेखकी संगति भी उक्त काल निर्णयके प्रकाश में ठीक बैठती है ।
पूर्व में
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