Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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जै० सा० इ०-पूर्व पीठिका उक्त घटनाओंको देखते हुए यह मानना पड़ता है कि चेटक सुदीर्घकाल तक लिच्छवि गणतंत्रका प्रमुख रहा, किन्तु उससे पूर्व उसका प्रभुत्व कौन था यह अज्ञात वै। श्वे० आगमोंमें महाबीरकी जननी त्रिसलाको चेटककी भगिनी बतलाया है, किन्तु उसके पिताका नाम नहीं दिया। इससे भी स्पष्ट है कि चेटकके पिताका नाम ज्ञात नहीं था। इसका कारण यह भी हो सकता है कि लिच्छवि गणतंत्रका प्रभुत्व होनेसे चेटक अपना विशिष्ट स्थान रखता था, किन्तु उसके पिताको यह सौभाग्य प्राप्त न रहा हो, क्योंकि गणतंत्रमें राजतंत्रकी तरह राज्यासन वंशपरम्परागत नहीं होता।
किन्तु चेटकके पूर्व लिच्छवि गणतंत्रका प्रधान कौन था, यह भी अज्ञात है और चेटकसे पूर्व उक्त गणतंत्र स्थापित हो चुका था या नहीं, यह भी निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता।
प्रचलित मान्यताके अनुसार भगवान महावीरका निर्वाण ५२७ ई० पूर्व में हुआ और उनकी आयु उस समय लगभग ७२ वर्षकी थी। अतः उनका ई० पूर्व ५६६ में जन्म हुआ। अतः ई. पूर्व ६०० में लिच्छवि गणतंत्र अवश्य ही वर्तमान था, क्योंकि श्वे० आगमोंमें महावीरको वैसालिय-वैशालीका तथा उनकी माताको 'विदेहदत्ता' बतलाया है और महावीरके पिता सिद्धार्थ वैशालीके निकटथ कुण्डग्रामके अधिपति ( सामन्त ) थे। उनके साथ चेटकने अपनी भगिनी त्रिशलाका विवाह किया था।
संभव है ईस्वी पूर्व सातवीं शतीके लगभग या उससे कुछ पूर्व लिच्छवियोंने जो काशीकी किसी रानीकी सन्तान थे, विदेह
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