________________
गौर-कालीन भारत
१४ (१६) कंबोजों का राज्य-प्राचीन कंबोज-राज्य कहाँ था, इसका निश्चय अभी तक नहीं हुआ है । एक मत यह है कि उत्तरी हिमालय के लोग कंबोज थे। दूसरा मत यह है कि तिब्बत के लोग कंबोज थे। पर बुद्ध-जन्म के समय वे कदाचित् सिंध नदी के बिलकुल उत्तर-पश्चिम में बसे हुए थे। प्राचीन ईरानी शिलालेखों में जिन “कंबुजिय" लोगों का उल्लेख आया है, वे कदाचित् यही "कंबोज" थे।
जिस समय का हाल हम लिख रहे हैं, उस समय अर्थात् ई० पू० छठी शताब्दी में आर्यावर्त इन्हीं छोटे छोटे स्वतंत्र राज्यों में बँटा हुआ था। ये अक्सर आपस में लड़ा भी करते थे। उस समय कोई ऐसा साम्राज्य या बड़ा राज्य न था, जो इन सब को अपने अधिकार में रखता । लोगों में राजनीतिक स्वतंत्रता का भाव प्रबलता के साथ फैला हुआ था । कोई उनकी स्वतंत्रता में बाधा डालनेवाला न था। प्रत्येक गाँव और प्रत्येक नगर अपना प्रबंध अपने आप करता था । सारांश यह है कि उस समय सब ग्राम और सब नगर एक तरह के छोटे मोटे प्रजातंत्र राज्य थे । उस समय उत्तरी भारत में कई प्रजातंत्र राज्य भी थे, जिनमें से मुख्य ये थे—(१) शाक्यों का प्रजातंत्र राज्य; (२) भग्गों का प्रजातंत्र राज्य; (३) बुलियों का प्रजातन्त्र राज्य; (४) कालामों का प्रजातन्त्र राज्य; (५) कोलियो का प्रजातंत्र राज्य; (६) मल्लों का प्रजातंत्र राज्य; (७) मौयों का प्रजातंत्र राज्य; (८) विदेहों का प्रजातंत्र राज्य; और (९) लिच्छवियों का प्रजातंत्र राज्य । इन प्रजातंत्र राज्यों में सब से अधिक प्रभुत्व
शाक्यों, विदेहों और लिच्छवियों का था। बुद्ध के जीवन पर इन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com