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राजनीतिक इतिहास लेखों से विदित होती है। यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि दक्षिण में संरक्षित राज्यों और अर्द्ध-स्वतंत्र राज्यों को मिला कर अशोक का साम्राज्य नीलौर तक फैला हुआ था । नर्मदा के दक्षिण का प्रदेश अशोक का विजय किया हुआ नहीं हो सकता; क्योंकि उसके शिलालेखों से पता लगता है कि उसने बंगाल की खाड़ी के किनारे केवल कलिंग देश को जीतकर अपने राज्य में मिलाया था। हाँ, यदि अशोक ने दक्षिणी प्रदेश अपने राज्यकाल के प्रारंभ में ही जीता हो, तो दूसरी बात है। पर इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। चन्द्रगुप्त के राज्य-काल के २४ वर्ष ऐसी बड़ी बड़ी घटनाओं से भरे हुए थे कि कदाचित् दक्षिणी प्रदेश जीतने का समय उसे न मिला होगा। इसलिये नीलौर तक दक्षिणी प्रदेश संभवतः बिन्दुसार ने जीता होगा; क्योंकि अशोक ने इस प्रदेश को अपने पिता से प्राप्त किया था । बस, बिन्दुसार के बारे में इससे अधिक और कुछ विदित नहीं है।
अशोक मौर्य युवराज अशोक-कहा जाता है कि अशोक या अशोकवर्द्धन अपने पिता के जीवन-काल में पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त तथा पश्चिमी भारत का युवराज या प्रान्तिक शासक रह चुका था। वहीं रहकर उसने शासन का काम सीखा था। वह कई भाइयों में सब से बड़ा था; और उसकी योग्यता देखकर उसके पिता ने प्सी को युवराज पद के लिये चुना था। उन दिनों पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त की राजधानी तक्षशिला और पश्चिमी भारत की राजधानी उज्जयिनी थी । लंका की दन्त-कथाओं से पता लगता है कि
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