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बौद्ध-कालीन भारत
१८२ रखने से प्रजा से कर वसूल करने में भी सहूलियत होती थी।" कौटिलीय अर्थशास्त्र से मेगास्थिनीज़ के कथन की पूर्णतया पुष्टि होती है । मौर्य साम्राज्य में मनुष्य-गणना की कार्य-प्रणाली में यह विशेषता थी कि वह किसी नियत समय पर नहीं होती थी। मनुष्य गणना के लिये राज्य का एक स्थायी विभाग था, जिसमें बहुत से कर्मचारी नियुक्त थे । उनका सब से बड़ा अफसर "समाहर्ता" कहलाता था । उसको और भी बहुत से काम करने पड़ते थे। उसके अधीन जो प्रान्त होता था, वह चार भागों में विभक्त रहता था । प्रत्येक भाग का अफसर “स्थानिक" कहलाता था । स्थानिक के नीचे बहुत से “गोप" काम करते थे। प्रत्येक गोप पाँच या दस गाँवों का प्रबन्ध करता था। इसके अतिरिक्त “प्रदेष्टा" नाम के कर्मचारी भी होते थे, जिनका कर्तव्य "स्थानिक" और "गोप” नामक कर्मचारियों के कामों का निरीक्षण करना था। पर यह निरीक्षण पर्याप्त नहीं होता था; इस कारण समाहर्ता एक और प्रकार के निरीक्षक नियुक्त करता था, जिनका कर्तव्य गुप्त रूप से स्थानिक, गोप और प्रदेष्टा आदि कर्मचारियों के काम की जाँच करना था। जो वृत्तान्त उन्हें ज्ञात होता था, उसे वे सीधे समाहर्ता के पास भेज देते थे। ____ "गोप” नामक कर्मचारियों के कर्तव्य ये थे-(१) प्रत्येक गाँव के चारो वर्गों के मनुष्यों की गणना करना; (२) कृषकों, गोपालों, व्यापारियों, शिल्पकारों तथा दासों की गणना करना; (३) प्रत्येक घर के युवा और वृद्ध स्त्री-पुरुषों की गणना करना और * Megastbenes; Book III, Fragment XXXII.
कौटिलीय अर्थशास्त्र; अधि० २, अध्या० ३५. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com