________________
२४९
प्राचीन बौर साहित्य सुत्तनिपात पर सारिपुत्त का भाष्य है। (१२) “परिसंमिदा" जिसमें अन्तर्ज्ञान का विषय है। (१३) "अपदान" जिसमें अर्हतों की कथाएँ हैं । (१४) "बुद्धवंश" जिसमें गौतम बुद्ध तथा उनके पहले के चौबिस बुद्धों के जीवन-चरित्र हैं। और (१५) “चरिया पिटक” जिसमें गौतम के पूर्व जन्मों के सुकर्मों का वर्णन हैं।
(२) विनय पिटक विनय पिटक निम्न लिखित तीन भागों में विभक्त है
(१) विभंग-डाक्टर अोल्डेनबर्ग और राइज डेविड्स साहब का मत है कि यह “पातिमोक्ख' का केवल विस्तृत पाठ है; अर्थात् “भाष्य सहित पातिमोक्ख" है । “पातिमोक्ख” में पापों और उसके दण्डों का सूत्र रूप में संग्रह है, जिसका पाठ प्रत्येक अमावास्या और पूर्णिमा को किया जाता था । लोग मानते हैं कि किया हुआ पाप स्वीकार करने पर भिक्षु उससे मुक्त हो जाता है ।
(२) खन्दक-इसमें “महावग्ग" और "चुल्लवग्ग" हैं । "महावग्ग" में बुद्ध की कथा, उनका प्रथम उपदेश और राहुल की दीक्षा आदि का वर्णन है । "चुल्लवग्ग" में अनाथपिंडिक तथा देवदत्त की कथाएँ और भिक्षुनी संघ की स्थापना आदि का वर्णन है।
(३) परिवार पाठ-यह विनय-पिटक के पूर्व भागों का बादवाला संस्करण और परिशिष्ट है । यह अशोक के समय में बनाथा। दीपवंश में लिखा है कि अशोक का पुत्र महेंद्र इसे लंका ले गया था।
(३) अभिधम्म पिटक अभिधम्म पिटक में निम्नलिखित ग्रंथ सम्मिलित हैं
(१) धम्मसंगनी-इसमें भिन्न भिन्न लोगों के जीवन का वर्णन है।
Pue
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
Shree Sin
www.umaragyanbhandar.com