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राजनीतिक इतिहास विरुद्ध स्वतन्त्रता के लिये जो बलवा हुआ, उसका अगुआ वहाँ का यूनानी गवर्नर डिभोडोटस था। बैक्ट्रिया को स्वतंत्र करने के बाद वह स्वयं वहाँ का राजा बन बैठा। उसने थोड़े ही दिनों तक राज्य किया। उसके बाद उसका बेटा डिप्रोडोटस द्वितीय ई० पू० २४५ के लगभग राजगद्दी पर बैठा।
यूथिडेमस-इसके विरुद्ध एक दूसरे वंश के यूथिडेमस नामक यूनानी ने बलवा करके ई० पू० २३० के लगभग राज्य का अधिकार अपने हाथ में कर लिया। यूथिडेमस और एन्टिओकस थीअस के बीच बहुत दिनों तक युद्ध हुआ। अन्त में ई० पू० ३०८ के लगभग दोनों में सन्धि हो गई और एन्टिओकस थीअस ने बैक्ट्रिया की स्वतंत्रता स्वीकृत कर ली। उसने यूथिडेमस को अपनी लड़की भी ब्याह दी।
काबुल पर एन्टिोकस थीअस का हमला-इसके बाद एन्टिओकस थीअस ने हिन्दूकुश पार करके ई० पू० २०६ में काबुल के राजा सुभागसेन पर हमला किया। पर यह एक आक्रमण मात्र था। इसका कोई स्थायी परिणाम नहीं हुआ।
भारत में डेमेट्रिप्रस का अधिकार-यूथिडेमस के बाद उसका बेटा डेमेट्रिअस बैक्ट्रिया का बादशाह हुआ। उसने ई०पू० १९० के लगभग हमला करके काबुल,पंजाब और सिंध को अपने राज्य में मिला लिया। पर बैक्ट्रिया से लगातार दूर रहने के कारण बलख पर से उसका कब्जा ढीला पड़ गया। इस लिये यूक्रेटाइडीज नामक एक यूनानी ने ई० पू० १७५ के लगभग बलवा करके बैक्ट्रिया पर अधिकार कर लिया । उसने भारतवर्ष में डेमेट्रियससे भी युद्ध किया और काबुल, सिंधतथा उत्तरी पंजाब पर अधिकार कर लिया।
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