Book Title: Bauddhkalin Bharat
Author(s): Janardan Bhatt
Publisher: Sahitya Ratnamala Karyalay

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Page 404
________________ ३७७ परिशिष्ट (ग) शोभा देखने ही योग्य थी। इन भवनों में नाना प्रकार के बहुमूल्य रख जड़े हुए थे । रंगबिरंगे दरवाज़ों, कड़ियों, छतों और संमों की सजावट देखकर लोग मोहित हो जाते थे । इस विश्वविद्यालय का पुस्तकालय नौमंज़िला था, जिसकी ऊँचाई करीब तीन सौ फुट थी । इसमें बौद्ध धर्म सम्बन्धी सभी ग्रन्थ थे। प्रचीन काल में इतना बड़ा पुस्तकालय कदाचित् ही कहीं रहा हो। __ वहाँ छः बड़े बड़े विद्यालय थे। उन विद्यालयों में विद्यार्थियों से फीस न ली जाती थी, बल्कि उलटे उन्हें प्रत्येक आवश्यक वस्तु मुफ्त दी जाती थी; अर्थात् भोजन, वस्त्र, औषध, निवास स्थान आदि सब कुछ उन्हें मुफ्त मिलता था। उच्च श्रेणी के विद्यार्थियों को अच्छी कोठरियाँ और नीची श्रेणी के विद्यार्थियों को साधारण कोठरियाँ मिलती थीं। पुरातत्व विभाग की ओर से वहाँ जो खुदाई हुई है, उससे पता लगता है कि एक कोठरी में एक ही विद्यार्थी रहता था, क्योंकि बड़ी से बड़ी कोठरियों की लंबाई १२ फुट से अधिक और चौड़ाई ८ फुट से अधिक नहीं है। विश्वविद्यालय का कुल खर्च दान के द्रव्य से चलता था । यह भी पता लगा है कि इसके अधीन २०० से ऊपर ग्राम थे, जो बड़े बड़े राजाओं की ओर से इसे दान के रूप में मिले थे। नालन्द में भिन्न भिन्न विषयों की शिक्षा देने के लिये एक सौ आचार्य थे। विश्वविद्यालय में गणित, ज्योतिष आदि सांसारिक विषयों के साथ ही साथ आत्मविद्या और धर्म की भी शिक्षा दी जाती थी। ह्वेनसांग ने लिखा है कि वहाँ बौद्ध धर्म के अन्यों के सिवा वेद, सांख्य, दर्शन और अन्य विषयों से सम्बन्ध रखनेवाले सभी ग्रन्थ पढ़ाये जाते थे। हेतु विद्या, शब्द विद्या, वैद्यक आदि अनेक विविध विषय विश्वविद्यालय के पाठ्य क्रम में सम्मिलित थे। नालन्द आकाश के ग्रह, नक्षत्रादि देखने का भी बड़ा भारी स्थान था और वहाँ की जल-घड़ी संपूर्ण मगध-वासियों को ठीक ठीक समय का ज्ञान कराती थी। इस में शिल्पकला विभाग भी था। ६५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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