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सातवाँ अध्याय
शिल्प-कला की दशा अशोक के बाद शिल्प-कला में परिवर्सन-अशोक के बाद मौर्य साम्राज्य का वही हाल हुआ, जो औरंगजेब के बाद मुग़ल साम्राज्य का हुआ था । मौर्य साम्राज्य बिलकुल छिन्न भिन्न हो गया; और उसके दूरवर्ती प्रान्त स्वतंत्र होकर अलग अलग राज्य बन गये। इस मौके पर बैक्ट्रिया और पार्थिया के यूनानी राजाओं ने उत्तरी पंजाब पर आक्रमण करके उस पर अधिकार जमा लिया। प्रायः ढाई सौ वर्षों तक पंजाब और पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त इन यूनानी राजाओं के आधिपत्य में रहा। हमेंस अन्तिम यूनानी राजा था, जिसने पंजाब और पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त पर राज्य किया। उसी के समय में भारतवर्ष पर कुषणों का प्रा. क्रमण हुआ । यूनानियों के बाद भारतवर्ष पर कुषण राजाओं का शासन प्रायः दो सौ वर्षों तक अर्थात् ईसवी प्रथम दो शताब्दियों में रहा। यूनानी और कुषण इन दोनों विदेशी राजवंशों के शासन काल में भारतवर्ष की प्राचीन शिल्प-कला में बड़ा परिवर्तन हुआ। इस काल की मूर्तिकारी में यूनानी प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, जो पहले की मूर्तिकारी में बिलकुल नहीं था। इस काल में यहाँ की प्राचीन मूर्तिकारी में एक दूसरा बड़ा परिवर्तन यह हुआ कि बुद्ध भगवान की मूर्तियों पहले पहल बनाई जाने लगीं। इसके पहले बुद्ध का अस्तित्व कुछ चिह्नों से सूचित किया जाता
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