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बौद्ध-कालीन भारत देते थे। वे पाँच शिक्षाएँ ये हैं:-(१) किसी जीव को न मारना, (२) चोरी न करना, (३) झूठ न बोलना, (४) नशे की आदत न डालना और (५) व्यभिचार न करना।
यही पाँच बातें हैं, जिनकी शिक्षा बुद्ध भगवान ने लोगों को दी और जिनका प्रचार सर्व साधारण में विशेष रूप से किया । पर बौद्ध धर्म की बदौलत भारतवर्ष को तीन भारी हानियाँ भी सहनी पड़ी। पहली हानि यह हुई कि बौद्ध धर्म ने खियों को बहुत नीचा स्थान दिया, जिससे स्त्रियों के अधिकारों को बड़ा धक्का पहुँचा । प्रारंभ में त्रियों को भिक्षु-संघ में भर्ती होने का अधिकार नहीं प्राप्त था; पर अंत में अपने प्रधान शिष्य आनन्द के बहुत कहने से बुद्ध भगवान ने स्त्रियों को भी संघ में भर्ती करने की अनुमति दे दी। पर उन्होंने अपने उपदेश में स्त्रियों के स्वभाव की बहुत निन्दा की है।
दूसरी हानि बौद्ध धर्म की बदौलत यह हुई कि अधिक दया का प्रचार होने के कारण लोगों में क्षत्रियत्व अथवा वीरता का अभाव हो गया। अहिंसा के अधिक प्रचार के कारण लोगों में युद्ध संबंधी कार्यों के प्रति घृणा का भाव पैदा हो गया । अतएव जब भारतवर्ष पर मुसलमानों का आक्रमण हुआ, तब यहाँ के लोगों में पहले का सा क्षत्रियत्व और वीरता न रह गई थी। इसी से मुसलमानों को भारतवर्ष विजय करने में इतनी आसानी हुई।
तीसरी हानि बौद्ध धर्म के कारण यह हुई कि लोगों के हृदयों में नीरसता तथा वैराग्य का भाव प्रबलाहो गया; क्योंकि बुद्ध भगवान् का प्राचीन मत शुद्ध संन्यास मार्ग था और उससे लोगों को संसार से विरक्त होने की शिक्षा मिलती थी। यही Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com