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बौद्ध-कालीन भारत
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इसी लिये बनवाया गया था। मालूम होता है कि इस महासभा में कुछ ऐसे सिद्धान्त भी निश्चित हुए थे, जो सब संप्रदायों को मान्य थे।
परिशिष्ट (ख)
बुद्ध का निर्वाण काल बुद्ध के निर्वाण का ठीक समय क्या है, इसका अभी निश्चय नहीं हुआ। इस पर भिन्न भिन्न विद्वानों के भिन्न भिन्न मत हैं। मैक्स म्यूलर और कान्टियर साहब ने बुद्ध के निर्वाण का समय ई० पू० ४७७ सिद्ध किया है। लंका की दन्त-कथाओं से निर्वाण का समय ई० पू० ५४४ या ५४३ सिद्ध होता है । फ्लीट और गीगर साहब ने इसका समय ई० पू० ४८३ निश्चित किया है। विन्सेन्ट स्मिथ साहब ने निर्वाण-काल ई० पू० ४८७ माना है । पर इस बात से प्रायः सभी विद्वान् सहमत है कि यह घटना ई. पू. ४९० और ४८० के बीच किसी समय हुई । अस्तु; तीन स्वतन्त्र प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि बुद्ध का निर्वाण ई० पू० ४८७ के लगभग हुआ। ये तीनों प्रमाण इस प्रकार हैं
(१) वसुबन्धु की जीवनी के लेखक परमार्थ नामक प्राचीन बौद्ध ग्रन्थकार ने लिखा है कि वृषगण और विन्ध्यवास नाम के बौद्ध आचार्य निर्वाण के बाद दसवीं शताब्दी में हुए। इन दोनों आचार्यों का समय ईसवी पाँचवीं शताब्दी माना जाता है। अतएव बुद्ध का होना ई० पू० पाँचवीं शताब्दी में सिद्ध होता है।
(२) चीन में वर्ष-गणना के लिये प्राचीन समय में प्रति वर्ष एक लकीर या शून्य बना दिया जाता था। कहा जाता है कि बुद्ध का
* इन्डियन एन्टिक्केरी, १६१४, पृ० १२६-१३३।।
+ विन्सेन्ट स्मिथकृत अर्ली हिस्टरी श्राफ इन्डिया; पृ० ४६-४७ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com