________________
बौख-कालीन भारत
२९० यह बैक्ट्रिया के राजा यूक्रेटाइडीज़ का समकालीन था। शायद इसने सिन्धु और झेलम के बीचवाले प्रान्त भी अपने राज्य में मिला लिये थे; क्योंकि तक्षशिला और मथुरा के राजा यदि पार्थियन राजाओं को अपना सम्राट् न मानते होते, तो अपने नाम के आगे फारसी भाषा की क्षत्रप उपाधि कभी न लगाते । मिथ्रडेटस प्रथम के बाद बहुत से पार्थिव राजा हुए, जिनमें से कुछ तो काबुल, कन्धार, हिरात और सीस्तान में और कुछ पशिमी पंजाब अथवा तक्षशिला में शासन करते थे। मिथ्रडेटस प्रथम का राज्य काल ई० पू० १७१ से १३६ तक माना जाता है ।
मोस-तक्षशिला या पश्चिमी पंजाब का पहला पार्थिव राजा मोअस था। मोअस का समय निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता; पर इसमें कोई सन्देह नहीं कि मोअस और मोग एक ही व्यक्ति के नाम हैं । मोग राजा का नाम तक्षशिला के उस ताम्रलेख में आया है, जिसे क्षत्रप पाटिक ने खुदवाया था । इस ताम्रलेखः में एक अनिश्चित संवत् का उल्लेख है । इसमें लिखा है कि इस संवत् के ७२ में वर्ष यह लेख प्रकाशित किया गया था । भारतवर्ष में आज तक जितने संवत् प्रचलित हुए, उनमें से किसी के साथ यह अनिश्चित संवत् नहीं मिलता। संभव है कि यह संवत् शक लोग अपने साथ सीस्तान से लेते आये हों । उक्त ताम्रलेख में पार्थिव महीने का व्यवहार किया गया है, जिससे सूचित होता है कि कदाचित् यह अनिश्चित संवत् भी पार्थिवों का ही चलाया हुआ हो । अनुमान है कि यह संवत् मिथूडेटस प्रथम ने सीस्तानः में अपना नया राज्य स्थापित करने के उपलक्ष्य में चलाया था। मिथडेटस प्रथम ने सीस्तान में अपना राज्य संभवतः ई० पू० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com