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बौर-कालीन भारत
३३० ईसापुर में मिला था। इस पर एक लेख खुदा है, जिससे पता लगता है कि महाराज वासिष्क के चौबीसवें राज्य वर्ष में द्रोणल नामक ब्राह्मण ने द्वादश रात्रि पर्यन्त यज्ञ करके इस यूप की स्थापना की थी। यूप या यज्ञ-स्तम्भ पशु बाँधने के लिये, यज्ञशाला में, गाड़ा जाता था । अतएव सिद्ध होता है कि उस समय यज्ञ का प्रचार अच्छी तरह था। यह शिलालेख संस्कृत भाषा में है, जिससे पता लगता है कि ब्राह्मणों की भाषा संस्कृत भी लुप्त नहीं हुई थी। संस्कृत में यह पहला शिलालेख है। इसके पहले के जितने शिलालेख अब तक मिले हैं, वे सब प्राकृत या संस्कृत-मिश्रित प्राकृत में हैं।
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