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बौख-कालीन भारत
३२८ कर न सकते थे। अशोक की मृत्यु के बाद ब्राह्मणों ने दलबद्ध होकर उसके वंशधरों का विरोध करना प्रारंभ किया। परन्तु वे स्वयं लड़ नहीं सकते । अन्त में उन्हें इस काम के योग्य एक व्यक्ति मिल गया। वह मौर्य वंश का सेनापति पुष्यमित्र था। वह ब्राह्मण धर्म का पक्षपाती था और बौद्ध धर्म से घृणा करता था। उसने ब्राह्मणों की सहायता से मौर्य वंश के अन्तिम राजा बृहद्रथ को मारकर मौर्य साम्राज्य पर अधिकार जमो लिया। अशोक ने अपने साम्राज्य में पशु-बलि प्रायः बिल्कुल बन्द कर दी थी। इस के विरोध के रूप में पुष्यमित्र ने अशोक ही की राजधानी पाटलिपुत्र में अश्वमेध यज्ञ किया। पुष्यमित्र के राजा होने पर थोड़े ही दिनों में ब्राह्मणों का माहात्म्य बढ़ गया। उन्होंने समस्त विद्याओं को लिपि-बद्ध किया और ब्राह्मण-धर्म को ऐसे साँचे में ढाल दिया कि वह आज तक बना हुआ है। पुष्यमित्र के यज्ञ में पतंजलि ऋषि ने पुरोहित का काम किया था; और उसी के
आश्रम में रहकर पतंजलि ने महाभाष्य की रचना की थी। मालूम होता है कि अशोक ने ब्राह्मणों के जो अधिकार छीन लिये थे, वे अधिकार ब्राह्मणों ने शुंग राजाओं के समय में फिर से प्राप्त करके समाज में अपनी श्रेष्ठता स्थापित करा ली थी। ___ यवन राजाओं के समय ब्राह्मण-धर्म-पश्चिमोत्तर सीमा तथा पंजाब पर यूनानी राजाओं का शासन लगभग २५० वर्षों तक था। इस बीच में भी ब्राह्मण-धर्म अच्छी तरह प्रचलित था । कदाचित् बहुत से यूनानी भी हिन्दू धर्म को मानने लगे थे । यह बात बेसनगर नामक गाँव में मिले हुए एक स्तंभ और उसके ऊपर खुदे हुए लेख से प्रकट होती है। यह गाँव ग्वालियर राज्य की दक्षिणी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com