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बौद्ध-कालीन भारत पर समुद्रगुप्त के शिलालेख में आर्जुनायनों का नाम मालवों और यौधेयों के बीच में आया है * । इससे पता लगता है कि उनका राज्य भरतपुर और नागर के बीच में रहा होगा।
औदुम्बर-औदुम्बरों का उल्लेख पाणिनीय व्याकरण में भी आया है। उनके बहुत से सिक्के पाये गये हैं, जो निम्नलिखित तीन भागों में बाँटे जा सकते हैं
(क) वे सिक्के, जिन पर केवल “औदुम्बर" शब्द लिखा है।
(ख) वे सिके, जिन पर राजा के नाम के साथ "औदुम्बर" लिखा है।
(ग) वे सिके, जिन पर केवल राजा का नाम लिखा है।
श्रीयुत राखालदास बैनर्जी तथा रैप्सन साहेब ने लेख के आधार पर इन सिक्कों का समय ई० पू० प्रथम शताब्दी माना है।। ये सिक्के उत्तरी पंजाब में पठानकोट, काँगड़ा और होशियारपुर जिलों में तथा ज्वालामुखी के पास पाये गये थे। अतएव औदुम्बरों का राज्य उत्तर और पश्चिम की ओर रावी तक तथा दक्षिण और पूर्व की ओर काँगड़े तथा कुल्लू तक फैला हुआ था।
कुणिन्द-कुणिन्दों का उल्लेख महाभारत और विष्णु पुराण में है । पर उनके बारे में जो कुछ पता लगता है, वह केवल सिक्कों से लगता है। उनके कुछ सिक्कों पर केवल "कुणिन्द" लिखा है; पर कुछ सिकों में "कुणिन्द" के साथ साथ राजा का नाम भी मिलता है । जिन सिक्कों पर केवल "कुणिन्द" लिखा है,
* "मालवार्जुनायनयौधेयमद्रक" १० (समुद्रगुप्त का शिलालेख)
J.A.S. B. 1914, p.249%; Rapson's Indian Colns; p. 11. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com