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तीसरा अध्याय
धार्मिक दशा बौद्ध धर्म की स्थिति-अशोक की मृत्यु से कनिष्क के समय तक अर्थात् मोटे तौर पर तीन शताब्दियों तक बौद्ध धर्म उत्तर की ओर बराबर बढ़ता गया । कहा जाता है कि अशोक के बाद शुंग राजाओं ने बौद्धों पर बड़े बड़े अत्याचार किये; पर फिर भी बौद्ध धर्म बराबर उन्नति ही करता रहा । वह केवल हिन्दुस्तान के अन्दर ही न रहा, बल्कि उस की सीमा पार करके बलख और चीन तक भी फैल गया।
बौद्धों पर पुष्यमित्र का अत्याचार-यह कहना असंभव है कि शुंग वंश के राजा पुष्यमित्र ने बौद्धों पर कितना अत्याचार किया । तारानाथ ने तिब्बती भाषा में बौद्ध धर्म का जो इतिहास ग्रन्थ लिखा है, उससे पता लगता है कि पुष्यमित्र नामक शुंग वंशी राजा ने मध्य देश से जालन्धर तक अनेक मठ जलवा दिये
और न जाने कितने बौद्ध विद्वानों तथा भिक्षुओं को मरवा डाला । "दिव्यावदान" में लिखा है कि पुष्यमित्र ने बौद्ध धर्म को निमल करने की इच्छा से पाटलिपुत्र का “कुक्कुटाराम" नामक. विहार बिलकुल बरबाद कर दिया और शाकल (कदाचित् स्यालकोट) के आस पासवाले प्रांत में जो भिक्षु रहते थे, उन्हें मरवा डाला । संभव है, बौद्ध ग्रंथकारों का यह वर्णन अत्युक्तियुक्त हो; पर इसमें कुछ सार भी अवश्य है।
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