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राजनीतिक इतिहास कहते कि हैं उसके उत्तराधिकारी कनिष्क ने ७८ ई० में राज्य - करना प्रारंभ किया; और उसी ने अपना राज्य स्थापित करने की
यादगार में सन् ७८ ई० से शक संवत् प्रचलित किया। अतएव मोटे तौर पर कैडफाइसिज द्वितीय का राज्य काल ४५ ई० से ७८ ई० तक माना जाता है । मथुरा के अजायब घर में किसी कुषण वंशी राजा की एक कहे-आदम मूर्ति रक्खी है । यह मूर्ति सिंहासन पर पैर लटकाये बैठी है। पैरों के बीच पादपीठ में एक शिलालेख है जिसके आधार पर श्रीयुत काशीप्रसाद जायसवाल ने बहुत ही विद्वत्तापूर्ण युक्तियों से यह सिद्ध किया है कि यह मूर्ति वीम कैडझाइसिज़ की है * । उसी अजायब घर में कनिष्क की भी एक कद्दे आदम खड़ी हुई मूर्ति है, जिस पर उसका नाम खुदा है।
कनिष्क कैडफ़ाइसिज़ द्वितीय के बाद कनिष्क का नाम आता है। यह कैडझाइसिज द्वितीय का नहीं, बल्कि वामेष्क नामक किसी दूसरे कुषण राजा का पुत्र था। मालूम होता है कि यह उस वंश का नहीं था, जिस वंश के कैडफाइसिज़ नाम के राजा थे। अनुमान होता है कि उसका सम्बन्ध किसी दूसरे कुषण वंश से होगा। इस बात का कोई पता नहीं लगता कि राज्य का अधिकार कैडफाइसिन के हाथ से कनिष्क के हाथ में किस तरह गया । शक संवत्, जिसका प्रारंभ ७८ ई० से होता है, इसी कनिष्क का चलाया हुआ माना जाता है।
कनिष्क काल-कुषण राजाओं के शिलालेख ३ से ९९ वर्ष तक के पाये जाते हैं। इनमें से कनिष्क के लेख ३ से ४१ वर्ष
Journal of the Behar and Orissa Research Society, March 1920, pp. 12-22.
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