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चौद्ध-कालीन भारत
२९२ शताब्दी के तीसरे पाद में वर्तमान था । यही बात गोंडोफर्निस के लेख से भी प्रमाणित होती है * । जो किसी अज्ञात संवत् के १०३रे वर्ष में लिखा गया था। यह अज्ञात संवत् भी यही एजेस का संवत् होगा। इसके लेख के अनुसार इसी एजेस के १०३ रे साल में गोंडोफ़र्निस को राज्य करते हुए २६ वर्ष हो चुके थे। गोंडोक्रनिस का काल अन्य प्रमाणों से १९-४५ ईसवी तक सिद्ध हुआ है। यदि गोंडोफ़र्निस का राज्यरोहण काल सन् १९ई. माना जाय, तो उसका २६वाँ वर्ष सन् ४५ ई० होता है। अब सन् ४५ ई० यदि एजोस का १०३रा वर्ष माना जाय, तो एजोस संवत् का प्रारम्भ १०३-४५ =५८ ई० पू० होता है। बाद में यहीसंवत् मालव संवत् तथा विक्रम संवत् के नाम से प्रसिद्ध हुआ। _____एजोस प्रथम के बाद उसका बेटा एजिलिसेस और उसके • बाद उसका पोता एजेस द्वितीय राजगद्दी पर बैठा । एजेस द्वितीय
का राज्य काल सन् १९ ई. में समाप्त हुआ। ___ गोंडोफ़र्निस-एजेस द्वितीय के बाद सन् १९ ई० में राज्य गोंडोफ़र्निस के हाथ में आया। इसने काबुल, कन्धार और सिंध पर पूरा पूरा अधिकार जमा लिया और श्राप पार्थिवों के साम्राज्य से पूर्ण स्वाधीन हो गया । जैसा कि ऊपर लिखा गया है, इसने कम से कम ४५ ई० तक अवश्य राज्य किया । इसकी मृत्यु के बाद शीघ्र ही भारतवर्ष में पार्थिवों के शासन का अन्त हो गया। गोंडोफर्निस के बाद ही भारतवर्ष पर कुषणों का आक्रमण हुआ ।
* गोंडोफ़र्निस का तख्त बहाई वाला शिलालेख । यह पेशावर के पास तख्त बहाई में प्राप्त हुआ था । (जरनल रायल एशि. सो. १९०३. पृ. ४०.) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com