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राजनीतिक इतिहास और "कातन्त्र” नामक संस्कृत व्याकरण ये दोनों ग्रन्थ भी उसी के समय में लिखे गये थे।
आन्ध्र राज्य का अधःपतन-विष्णु पुराण के अनुसार इस वंश में तीस राजा हुए और उन सब ने कुल मिलाकर ४५६ वर्ष तक राज्य किया। इस वंश का अंतिम राजा पुलुमायि तृतीय था। इस राजवंश का अधःपतन किन कारणों से हुआ, इसका कोई पता नहीं है। केवल इतना कहा जा सकता है कि ईसवी सन् की तृतीय शताब्दी में इस राजवंश का अधःपतन हुआ। पर इस शताब्दी का इतिहास ऐसे अन्धकार में पड़ा है कि उसमें होनेवाली घटनाओं के बारे में कुछ लिखना असंभव है।
मौर्य काल के बाद विदेशी राजवंश अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य छिन्न भिन्न हो गया। उसके दूरवर्ती प्रान्त स्वतन्त्र होकर अलग अलग राज्य बन गये । पश्चिमोत्तर सीमा विदेशियों के आक्रमण से सुरक्षित न रह सकी। एक के बाद दूसरी विदेशी जातियाँ इन सीमाओं को पार कर भारतवर्ष में आने लगीं। इन विदेशी जातियों के नाम क्रम से यवन ( यूनानी), शक ( सीथियन), पार्थिव (पार्थियन) और कुषण हैं। इन जातियों ने भारतवर्ष पर आक्रमण करके यहाँ अपने अपने राजवंश स्थापित किये, जिनका संक्षिप्त इतिहास क्रम से नीचे दिया जाता है।
यवन ( यूनानी) राजवंश सिकन्दर और सेल्यूकस के माक्रमण-सिकन्दर पहला यूनानी था, जिसने भारतभूमि पर आक्रमण किया । जब ई० पू० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com