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राजनीतिक इतिहास राजा सुशर्मन् काण्व के बारे में यह कहा जाता है कि वह मांध्र या शातवाहन वंश के किसी राजा के हाथ से ई० पू० २७ में मारा गया। उस समय आन्ध्रों का राज्य दक्षिण में पूर्वी समुद्र से पश्चिमी समुद्र तक फैला हुआ था। पुराणों के अनुसार आन्ध्र वंश की स्थापना काण्व वंश के बाद हुई; अतएव पुराणों के मत से अन्तिम काण्व-राजा का मारनेवाला आन्ध्र वंश का प्रथम राजा सिमुक था। पर वास्तव में स्वतन्त्र आन्ध्र वंश की स्थापना अशोक के बाद ही ई० पू० २२० के लगभग हुई होगी। अतएव सुशर्मन् काण्व का मारनेवाला सिमुक नहीं, बल्कि कोई
और आन्ध्र राजा रहा होगा। वह आन्ध्र राजा कौन था, यह निश्चित रूप से कहना असंभव है। मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि सुशर्मन् का मारनेवाला कुन्तल शातकर्णि, शात शातकर्णि और पुलुमायि प्रथम इन तीनों आन्ध्र राजाओं में से कोई एक रहा होगा; क्योंकि ई० पू० २७ इन्हीं तीनों आन्ध्र राजाओं में से किसी एक राजा के राज्य काल में पड़ता है।
आन्ध्र वंश आन्ध्रों का सबसे प्राचीन उल्लेख-चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में आन्ध्र लोग गोदावरी और कृष्णा नदियों के बीचवाले प्रांत में पूर्व की ओर रहते थे। उनकी सैनिक शक्ति बहुत बढ़ी चढ़ी थी । वह केवल चन्द्रगुप्त मौर्य की सैनिक शक्ति से उतर कर थी। उस समय आन्ध्र देश में तीस बड़े बड़े नगर और अनेक ग्राम थे। नगरों के चारों ओर चहार-दीवारियाँ रहती थीं। उनकी सेना में एक लाख पैदल, दो हजार सवार और एक हजार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com