________________
बौद्ध-कालीन भारत
२७४ पुष्यमित्र के वंशज-बहुत दिनों तक राज्य करने के बाद ई० पू० १४८ के लगभग पुष्यमित्र का देहान्त हुआ । उसके बाद उसका पुत्र अग्निमित्र गद्दी पर बैठा। अपने पिता के समय में वह शुंग राज्य के दक्षिणी प्रान्तों पर शासन करता था। उसने थोड़े ही दिनों तक राज्य किया। इसके बाद उसका भाई सुज्येष्ठ राज्य का उत्तराधिकारी हुआ। सुज्येष्ठ के बाद अग्निमित्र का पुत्र वसुमित्र राज-सिंहासन पर बैठा । वसुमित्र के बाद शुंग वंश का कोई राजा ऐसा नहीं हुआ, जिसका उल्लेख यहाँ किया जाय । मालूम होता है कि शुंग वंश के अन्तिम राजाओं के समय देश में अशान्ति फैली हुई थी। इस वंश का अन्तिम राजा देवभूति या देवभूमि था। कहा जाता है कि वह बड़ा दुश्चरित्र और व्यभिचारी था । उसका मंत्री काण्व वंश का वसुदेव नामक एक ब्राह्मण था। उसने अपने स्वामी को मारकर राज्य का अधिकार ले लिया। अनुमान होता है कि शुंग वंश के अन्तिम राजा 'नाम मात्र के राजा थे। वे अपने ब्राह्मण मंत्रियों के हाथ की कठपुतली थे । वास्तव में राज्याधिकार ब्राह्मण मंत्रियों के हाथ में ही था।
काण्व वंश वसुदेव और उसके उत्तराधिकारी-शुंग वंश के अंतिम राजा देवभूति या देवभूमि को मारकर मन्त्री वसुदेव ने ई० पू० ७२ में काण्व राज वंश की स्थापना की। वसुदेव के बाद इस राजवंश में तीन राजा और हुए। कुल मिलाकर इस राजवंश ने केवल ४९ वर्षों तक राज्य किया। इससे मालूम होता है कि काण्व राजाओं का राज्य-काल बहुत अशान्ति-मय था । इन राजाओं के बारे में कुछ विशेष बात ज्ञात नहीं है। केवल अंतिम
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com