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बौद्ध-कालीन भारत
२७६ हाथी थे * । उनकी राजधानी कृणां नदी के किनारे पर श्रीकाकुलम थी। उस समय यह जाति स्वतन्त्र थी। इस बात का ठीक पता नहीं है कि किस समय आन्ध्र लोग मौर्य साम्राज्य की अधीनता स्वीकृत करने के लिये विवश किये गये। अशोक के राज्य-काल में आन्धू राज्य मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत करद राज्यों में गिना जाता था +। अशोक की मृत्यु के बाद अवसर पाकर साम्राज्य के दूरवर्ती प्रान्त स्वतंत्र हो गये। आन्धों ने भी उसी अवसर एक बड़ा भारी स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया।
सिमुक और कृष्ण-इस खतन्त्र राज्य की स्थापना सिमुक नामक आन्धू राजा ने ई० पू० २२० के लगभग की । इस नवीन राज्य की शक्ति दिन पर दिन बढ़ने लगी; यहाँ तक कि वंश के दूसरे राजा कृष्ण के राज्य काल में ही इसका विस्तार पूर्वी घाट से पश्चिमी घाट में नासिक तक हो गया। इसके बाद आन्धू राजाओं का नाम नहीं सुनाई पड़ता। उनमें से केवल एक राजा ने सुशर्मन् काण्व को मारकर ई० पू० २७ के लगभग मगध को अपने राज्य में मिला लिया ।
हाल शातवाहन-इस राजवंश का हाल शातवाहन नामक राजा अपनी विद्या और साहित्य सेवा के लिये प्रसिद्ध है। उसके समय में प्राकृत भाषा बहुत उन्नत अवस्था में थी। उसने प्राकृत भाषा और प्राकृत कविता की बड़ी उन्नति की । उसने स्वयं प्राचीन महाराष्ट्री भाषा में ७०० पद्य लिखे थे, जो "सप्त शतक" के नाम से प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि पैशाची भाषा में "बृहत्कथा" * Pliny; Book VI; 21, 22, 23, + अशोक का प्रयोदश शिलालेख । .
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