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बौद्ध-कालीन भारत
२६० (१) चतुर्दश शिलालेख-य निन्नलिखित सात स्थानों में पहाड़ों की चट्टानों पर खुदे हुए पाये जाते हैं-(१) शहबाज़गढ़ी, जो पेशावर से चालीस मील दूर उत्तर-पूर्व में है; (२) मानसेरा, जो पंजाब के हज़ारा जिले में है; (३) कालसी, जो मसूरी से पन्द्रह मील पश्चिम की ओर है; (४) सोपारा, जो बम्बई के पास थाना जिले में है; (५) गिरनार पहाड़ी, जो काठियावाड़ में जूनागढ़ के पास है; (६) धौली जो उड़ीसा के कटक जिले में है; और (७) जौगढ़ जो मदरास के गंजम जिले में है।
(२) दो कलिंग शिलालेख-ये धौली और जौगढ़ के चतुर्दश शिलालेखों के परिशिष्ट रूप हैं और बाद को उनमें जोड़े गये थे।
(३) लघु शिलालेख-ये उत्तरी मैसूर के (१) सिद्धपुर, (२) जतिंग रामेश्वर और (३) ब्रह्मगिरि में; शाहाबाद जिले के (४) सहसराम में; जबलपुर जिले के (५) रूपनाथ में; जयपुर रियासत के (६) बैराट में; और निजाम की रियासत के (७) मास्की नामक स्थान में पाये जाते हैं।
(४) भावू शिलालेख-ये जयपुर रियासत में बैराट के पास एक पहाड़ी की चट्टान पर खुदा हुआ था और आजकल कलकत्ते में रक्खा है।
(५) सप्त स्तंभलेख-ये निम्नलिखित छः स्तम्भों पर खुदे हुए हैं-दिल्ली के दो स्तम्भ, जिनमें से एक अंबाले के पास (१) टोपरा स्थान से और दूसरा (२) मेरठ से दिल्ली में लाया गया था; (३) इलाहाबाद का एक स्तम्भ, जो वहाँ के किले में है; (४) लौड़िया अरराज; (५) लौड़िया नन्दनगढ़; और (६), रामपुर के तीन स्तम्भ जो तिरहुत के चंपारन जिले में हैं।
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