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प्राचीन बोर साहित्य
प्राकृत शब्द रख दिये जाय, तो ये अशुद्धियाँ दूर हो सकती हैं। बौद्ध निकाय ग्रन्थों से प्रकट होता है कि प्राचीन बौद्ध काल में पुराण सुनने की प्रथा उस समय थी, जब कि संस्कृत के पुराण ग्रंथ नहीं बने थे। इससे सिद्ध होता है कि पुराण ग्रंथ बहुत प्राचीन हैं और किसी न किसी रूप में वे सूत्र काल में विद्यमान थे।
पुराणों के सिवा रामायण और महाभारत भी किसी न किसी रूप में इसी प्राचीन बौद्ध काल या सूत्र काल में रचे गये थे; क्योंकि सूत्र ग्रंथों की संस्कृत और महाभारत तथा रामायण की संस्कृत आपस में बहुत कुछ मिलती जुलती है। ई० पू० द्वितीय शताब्दी के पातंजल महाभाष्य में महाभारत का उल्लेख आया है, जिससे सूचित होता है कि महाभारत ई० पू० द्वितीय शताब्दी के बाद का नहीं हो सकता। आश्वलायन गृह्य सूत्र में भी महाभारत का उल्लेख आया है, जिससे सूचित होता है कि महाभारत अपने प्राचीन रूप में सूत्र काल के बाद का नहीं है।
इसी काल में कौटिलीय अर्थशास्त्र, वात्स्यायन का कामसूत्र, भास के नाटक और पातंजल महाभाष्य आदि भी लिखे गये । बहुत सी विद्याओं और कलाओं का उल्लेख "ब्रह्मजाल सुत्त" और "दीघ निकाय" नामक बौद्ध ग्रंथों में है, जिससे पता लगता है कि इस काल में भिन्न भिन्न विद्याओं और कलाओं के संबंध में ग्रंथ अवश्य रचे गये थे।
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