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मौर्य शासन पति
बहुत प्राचीन समय से हिन्दुओं की चतुरंगिणी सेना में हाथी की सेना भी सम्मिलित थी। अतएव मौर्य साम्राज्य में हाथियों की रक्षा और उनकी नस्ल में सुधार करने के लिये एक अलग विभाग बना हुआ था। इस विभाग में कई अफसर थे, जिन सब के ऊपर एक हस्त्यध्यक्ष होता था * । उसका प्रधान कर्तव्य नागवन (हाथियों के वन) की रक्षा करना, फीलखानों का इन्तजाम करना और योग्य महावतों के द्वारा हाथियों को शिक्षा दिलाना था। उसके नीचे कई छोटे कर्मचारी होते थे, जो नाग-वनों की रक्षा करते थे। जंगली हाथी पकड़ने का काम भी इन्हीं नागवन-रक्षकों से लिया जाता था। वे पाँच या सात हथनियों को साथ लेकर जंगलों में हाथी पकड़ने के लिये घूमा करते थे । हाथियों के पद-चिह्नों का अनुसरण करते हुए वे उस स्थान तक पहुँच जाते थे, जहाँ जंगली हाथी छिपे रहते थे। गौओं, बैलों और घोड़ों की तरह हाथियों की चिकित्सा के लिये भी अलग चिकित्सक नियुक्त थे। हाथियों के दाँत काटने के लिये भी कई खास नियम थे। उनके दाँत अढ़ाई या पाँच वर्षों में एक ही बार काटे जाते थे। ___ मनुष्य गणना विभाग-मेगास्थिनीज़ ने लिखा है-"तृतीय विभाग के अध्यक्ष का कर्तव्य साम्राज्य के अन्दर जन्म और मृत्यु की संख्या का हिसाब रखना था। जन्म और मृत्यु की संख्या का हिसाब इसलिये रक्खा जाता था कि जिसमें राज्य को इस बात का ठोक ठीक पता रहे कि साम्राज्य की आबादी कितनी बढ़ी या कितनी घटी । जन्म और मृत्यु का लेखा
.कौटिलीय अर्थशास्त्र: अधि० २, अध्याय ३१. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com