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तेरहवाँ अध्याय प्राचीन बौद्ध काल का साहित्य भाषा और अक्षर-गौतम बुद्ध ने किस भाषा में अपने धर्म का प्रचार किया होगा, इसका अनुमान हम अशोक के शिलालेखों से कर सकते हैं। उन शिलालेखों से हम यह भी अनुमान कर सकते हैं कि बुद्ध से अशोक के समय तक अर्थात् ई० पू० छठी शताब्दी से ई० पू० तीसरी शताब्दी तक भारतवर्ष की बोलचाल की भाषा कौन थी। अशोक के लेख निस्संदेह उसी भाषा में हैं, जिसे उसके समय में लोग बोलते और समझते थे । अशोक के लेखों से सूचित होता है कि प्राचीन बौद्ध काल की राष्ट्रीय भाषा संस्कृत कदापि न थी। संस्कृत तो केवल थोड़ से पढ़े लिखे लोग और ब्राह्मण ही समझते थे।
अशोक के शिलालेखों से विदित होता है कि प्राचीन बौद्ध काल में हिमालय से विन्ध्य पर्वत तक और सिन्धु से गंगा तक उत्तरी भारत की भाषा प्रायः एक ही थी। पर इन लेखों में प्रांत-भेद के अनुसार कुछ भेद भी थे। इन भेदों से पता लगता है कि उस समय प्रायः तीन प्रकार की भाषाएँ बोली जाती थीं। इन्हें हम पंजाबी या पश्चिमी भाषा, उज्जैनी या मध्य देश की भाषा और मागधी या पूर्वी भाषा कह सकते हैं।
पश्चिमी या पंजाबी भाषा अन्य भाषाओं की अपेक्षा संस्कृत से बहुत मिलती जुलती थी। उसमें "प्रियदर्शी", "श्रमन" आदि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com